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________________ आगम [भाग-7] "नन्दी- चूलिकासूत्र-१ (मूलं+वृत्ति:) ............ मूलं ५०-५१] / गाथा ||८१...|| .... (४४) प्रत सूत्रांक शातधर्मकथायाः [५०-५१] गाथा ||८१..|| ॥१०॥ नन्दी 'से कि तमित्यादि।(५०-२२९॥अथ केयं व्याख्या?,व्याख्यानं व्याख्या,तथा चाह-व्याख्या जीचादयो व्याख्यायन्ते, हारिभद्रीय इह सब चेव अज्झयणसन, शेप प्रकटार्थ यावत् 'सेतं विवाहेति निगमनम् ॥ वृत्ती 'से किं तमित्यादि ।।(५१-२३०)।। अथ कास्ताः ज्ञाताधर्मकथा:?,ज्ञातानि-उदाहरणानि तत्प्रधाना धर्मकथाः ज्ञाताधर्म कथाः,आह च-'णायाधम्मकहासु णं इत्यादि,जाताना-उदाहरणभूतानां नगरादीनि व्याख्यायन्ते, 'दस धम्मकहाणं घग्गा इत्यादि, एत्थ भावणा-एगूणवीसं णायज्झयणाणि,णायत्ति आहरणा, दिट्ठतिओ उवाणिज्जति जेहिं वा ताणि गाताणि-अझयणा, | एए पढमसुपखंघे, अहिंसादिलक्खणस्स धम्मस्स कहाओ धम्मकहाओ धम्मियाओ वा कहाओ धम्मकथाओ, अक्खाणगत्ति वुत्तर भवति, एयाणि वितियमुयखंधे, पढमबितियसुयखंधमणियाणं णायाधम्मकहाण नगरादिया भति, चितियसुपखंधे दस धम्मकहाणं वग्गा, वग्गोचि समूहो, तव्विसेसणविसिट्ठा दस अज्झयणा चेव ते ददृण्वा, एगूणवीस णाया दस धम्मकहाओ, तत्थ णातेसु आदिमा दस गाता गाया चेव, ण तेसु अक्खादियादिसमवो, सेसा णव गाया, तेसु पुण एकेके जाते पंच २ चत्तालाई अक्खाइयासयाई, एत्थवि एकेकाए अक्खाइयाए पंच २ उवक्खाइयसयाई, तत्थवि एकेकाए उवक्खाइयाए पंच पंच अक्खाइयोबक्खाइयसगाई, एवमेयाई संपिडियाई,कि संजायं, एगीसं कोडिसयं लक्खा पन्नासमेव बोद्धया। एवं ठिते समाणे अधिगत-15 है सुत्तस्स पत्थावो ॥१॥ तंजहा दस धम्मकहाणं वग्गा, तत्व ण एगमेगाए धम्मकहाए पंच पंच अक्खाइयसयाई, एगमेगाए ॥१३॥ ठा अक्खाइयाए पंच २ उवक्खाइयसयाई, एगमेगाए उवक्खाइयाए पंच २ अक्खाइयोवक्खाइयसयाई, एवमेयाई संपिडियाई, कि, संजात-"पणवीस कोडिसयं एत्थ य समलक्खणाझ्या जम्हा । णवणायगसंबद्धा अक्खाइयमाझ्या तेणं ॥१॥ते सोहिज्जति दीप अनुक्रम [१४३- | १४४] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता आगमसूत्र [४४] चूलिकासूत्र [१] नन्दीसूत्र मूलं एवं हरिभद्रसूरिजीरचिता वृत्तिः | ... अथ अंगप्रविष्ट-सूत्राणां वर्णनं आरभ्यते, तदन्तर्गत 'विवाह-पन्नत्ति एवं ज्ञाताधर्मकथा' सूत्रयो: वर्णनं । ~116
SR No.035067
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 2 07 Nandi Vrutti Aagam 44 evam Anuyogdwar Vrutti Aagam 45
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherParam Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages270
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_nandisutra, & agam_anuyogdwar
File Size20 MB
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