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________________ आगम (४०) [भाग-3] “आवश्यक"- मूलसूत्र-१ (नियुक्ति:+वृत्ति:) १ अध्ययनं H, नियुक्ति: [१३१], भाष्यं , विभा गाथा , मूलं - /गाथा-] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता आगमसूत्र [४०] मूलसूत्र [१] आवश्यकनियुक्ति एवं मलयगिरिसूरिरचिता वृत्तिः । प्रत सूत्रांक 4 4 - दीप अनुक्रम उपोद्घात-1४ कमलामेला ५ पष्ठं शांचस्य साहम ६ सप्तमं श्रेणिकस्य षष्ठीसप्तम्योरर्थ प्रत्यभेदात् कोपः । तत्र श्रावकभार्योदाहरणमि- भावानुयोनियुक्तिः दम्-सावगेण नियभजाए वयंसिया उब्भडरूवा आभरणालंकारविभूसिया दिट्ठा, अज्झोववन्नो, एयं चिय सुमरि गादौ ह दुब्बलो भवइ, महिलाए पुच्छितो न कहेइ, निबंधे सिद्ध, तीए भणियं-आणेमि, ताहे संझासमए तेहिं चैव ष्टान्ताः ॥१३५॥ वस्थाभरणेहिं अप्पाणं नेवस्थित्ता अंधकारे अल्लीणा संवुत्था, पच्छा बितियदिवसे अधिई पगतो वयं खंडियंति, ततो 5 ताए भणिय-वयं न खंडियं, अहं चेवागया, साभिन्नाणं पत्तियावितो, एवं जो ससमयवत्तवयं परसमयवत्तवयं भणइ, परस-1 मयवत्तव्यं वा ससमयवत्तवर्य, उदइयभावलक्खणेण उवसमियं भावं परुवेइ उपसमियभावलक्खणेण वा ओदइयं, ताहे | अणणुयोगो, सम्म परूविज्जमाणे अणुयोगो । तथा सप्तभिः पदैर्व्यवहरतीति साप्तपदिकः, तदुदाहरणमिदं-एगंमि पञ्चंतगामे एगो ओलग्गयमणूसो साहुमाहणाईण न सुणेइ,न वा समीवमल्लियइ, नावि रोज देइ, मा मम धम्म कहहिति, माऽहं धम्मं सोचा सहो होहामित्ति, अन्नया तंगाम साहुणो आगता, पडिस्सयं मग्गंति, ताहे गोहिल्लएहिं सो न देइत्ति सोवि एएहिं पवंचितो होउ इति तस्स घरं दसियं, जहा एरिसो तारिसो तुम्भ भत्तो सायगोत्ति एयस्स घरं जाह, ताहे साहूणो ||81 तं घरं गया, दिडो सो, पर न चैव आढाइ, तत्थ एकेण साहुणा भणियं-जह न चेव सो एसो, अहवा पवंचियामोत्ति, हात सोऊण तेण ते साहूणो पुच्छिता, कहियं जहा अम्ह कहियं एरिसो तारिसो वा सावगोत्ति, सो चिंतेइ-अहो अकज्ज, १३५॥ ममं ताव पवंचंतु, तो किं साहुणोपवंचंतित्ति, ताहे मा तेसिमसारया होउत्ति भणइ-देमि पडिस्सयं एकाए ववत्थाए, है जइ मम धम्मं न कहेह, साहहिं भणियं-एवं होउत्ति, दिनं घरं, वरसारत्ते निवत्ते आपुच्छंति-अम्हे विहरामो, ताहे S JanEducason.ireonabomla ~292
SR No.035063
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 2 03 Aavashyak Niryukti evam Vrutti Aagam 40 Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherParam Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages318
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aavashyak
File Size28 MB
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