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________________ आगम (४२) भाग-6 "दशवैकालिक”- मूलसूत्र-३ (नियुक्ति:+|भाष्य +चूर्णि:) अध्ययनं [१], उद्देशक -1, मूलं [-1 / गाथा: [१], नियुक्ति: [३८...९४/३८-९५], भाष्यं [१-४] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता: आगमसूत्र-[४२] मूलसूत्र-[०३] दशवैकालिक नियुक्ति: एवं जिनदासगणिरचिता चूर्णि प्रत सूत्रांक चतुर्विध गाथा ||१|| ॥४४॥ श्रीदश- पवयणे जीवो दवट्टयाए निच्चो पज्जवेहि अणिच्चो, एत्थ दिढतो. सोवण्णयंगुलेज्जगं, जहा सुवण्णमयस्स अंगुलेज्जगस्स कुंडल-18| वैकालिका नेण उप्पण्णस्स उप्पाओ भवइ, अंगुलेज्जगत्तणेण विगमो, सुवण्णतणेण अवडिई चेब, जीवदव्यस्सवि मणुस्समावेण उप्पण्णम्स उपाया: चूर्णी I माणुसलेण उप्पाओ, देवादणं अपणयरगेण विगमो भवद, जीवत्तणे अवडिओ चव, तम्हा जिणपणे जीवो दबट्टयाए णिच्चो १ अध्ययन पज्जवेहि अणिमचोति, अवाओत्ति दारं गनं । इदाणि उवाएत्ति दारं-सो य दव्बादी चउविहो, तत्थ दबोबायो जहा धातुबाइया उवाएण सुवणं करेंति, एवं तारिसे संघकज्जे समुप्पण्णे उवाएण जोणीपाइडाइयं परिणीय आसयंति, विज्जातिसएहि। वा एरिसे दरिसइ जेण उवसमेइ। खेत्तावाओ. जहा नावाए पुब्बबेतालीओ अयरावेयालि गम्मइ, एवं विज्जाइसरहिं अद्धाणाइसु नित्थरियन्वं । कालउवाओ जहा नालियाए कालो नज्जर, एवं सुत्नत्थेहि एत्तिएहि परियट्टिएहि एत्तिओ कालो गओ भवइ, एवं जाणियन । भावउवाए उदाहरणं, सणिओ राया भज्जाए मण्णइ-जहा मम एगर्थी पासादं करहि, नेण पाणी आणत्ता, गया। कट्ठछिंदगा, तेहि अडवीए महइमहालओ दुमा दिट्ठी, जणेस परिगहिओ सो दरिसावेद जइ अप्पाण ता न छिदामो, अह न देइदरिसावं तो छिदामोनि, नहा तेण रुक्सवासणा वाणमंतरेण अभयस्स दरिसाओ दिण्णी, अहं रणो एगभं पासादं। करेमि सम्बोउगं च आराम करेमि सब्यवणजातीउववेय. मा छिदहत्ति, एवं तेण की पासाओ। अण्णदाएगाए मातंगीए व अकाले अंबडाहलो. सा भत्तारं भणइ- मम अंबाणि आणहि, तदा य अकाला अंचयायो, तेग ओणामणीए बिज्जाए डालं I४॥४४॥ आणामिय, अहण गहियाणि, पूणा य उण्यामिणी उणामिय, पभाए रणा दिलै, नदीसइ, को एस मणमो अगओ?, जस्स18 एरिसी सत्ती सो ममं अंतरं अधि धरिस हिचिकाई अभयं सहावेऊण भणह- सत्तरत्नम्स अब्भतरे जइ चार गाणीस ना त नस्थिर X दीप अनुक्रम [57]
SR No.035056
Book TitleSachoornik Aagam Suttaani 06 Dashvaikaalik Niryukti Evam Churni Aagam 42
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherParam Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages398
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_dashvaikalik
File Size34 MB
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