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आगम
(४२)
भाग-6 “दशवैकालिक"- मूलसूत्र-३ (नियुक्ति:+|भाष्य +चूर्णि:)
अध्ययनं [-], उद्देशक -, मूलं -1/ [गाथा:], नियुक्ति: [२/१-७], भाष्यं [-] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता: आगमसूत्र-[४२] मूलसूत्र-[०३] दशवैकालिक नियुक्ति: एवं जिनदासगणिरचिता चूर्णि
प्रत सूत्रांक
आदश- वैकालिक
चौँ १ अध्ययने
योगेण अहिगारो, सिस्सो आह-कि सबस्सेव सुयंणाणस्स अणुयोगो कहेयम्बो, अधिगयस्स कस्सइ सुयखंघस्स?, आयरितो है
अनुयोगः आह-सव्वस्सावि सुयणाणस्स कहेतब्बी, इमं पुण पडवणं पडुच दसवेयालियस्स अणुयायो कहेयब्बो । दसवेयालियं ण भंते ! किंग अंग अंगाई सुपखंधो सुपखंधा अज्झयणं अजायणा उद्देसो उद्देसा? दसबियालियं गं नो अंग नो अंगाई सुयखंधो नो तुपर्खधा | णो अझयणं अजायणा नो उद्देसो उद्देसा, तम्हा दस निक्खिविस्सामि कालं निक्खिविस्सामि मुतं निक्खिबिस्सामि खधं निक्थिविस्सामि अज्झयणा निक्खिबिस्सामि उद्देसा निक्खिविस्सामि, तत्थ पढमं दारं दसत्ति, एको एको य दोष्णि, दोणि एको य तिष्णि, तिणि एको य चत्तारि, चत्तारि एको य पंच, पंच एको य छ, छ एको य सत्त, सत्त एको य अट्ट, अट्ठ एको य णब, णव एको य दस, तेण एकस्सवि अभावे दसण्हवि अभावो भवइ, तम्हा पुण्यामेव ताव एफनिक्खेबो भाणियब्वो, ततो पच्छा दसण्हं, तस्स एगस्स दारगाहा
णाम ठवणादविए, माउगपद संगहेका चेव । पज्जव भावे य सहा सत्तेते एकगा भणिया ।। ८.७५ ॥
पामठवणाउ जहा आवस्सए भणियाउ तहेव, तत्थ दब्बेकगा तिविहा-सचितं अचिनं मीसगं च, वत्थ सचिचं जहा एको द्र पुरिसो, अचित्तं जहा एको कासावणो, मीसओ जहा सो चेव पूरिसो अलंकियविभूसिओ, माउगापदेकर्म णाम तंजहा-उप्पण्णेति
वा धुवेति वा विगमेति वा, एते दिट्टिवाए माउगपदा भवति, अहवा इमे माउगपदा अआइई एवमादि, संगहेकंग नाम जहा एगो ॥ ३ ॥ साली साली चेव भण्णइ तहा बहुओवि सालीओ साली चेष भण्णति, तं च संगहे कगं दुविई, तंजहा-आदि8 अणादि8 च, तत्थ | आदिहुं णाम विसेसियं, अणादिढ णाम अविसेसियं, अणादिटुं णाम जहा साली सालिचि, आदिह जहा गंधसालित्ति, पञ्जयेकगं,
दीप
अनुक्रम
Re
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7
... 'द्रव्य' शब्दस्य सचित्त-आदि भेदा:
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