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________________ आगम (४२) भाग-6 "दशवैकालिक- मूलसूत्र-३ (नियुक्ति:+|भाष्य|+चूर्णि:) अध्ययनं [४], उद्देशक H, मूलं [१-१५] | गाथा: [३२-५९/४७-७५], नियुक्ति : [२२०-२३४/२१६-२३३], भाष्यं [५-६०] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता: आगमसूत्र-[४२] मूलसूत्र-[०३] दशवैकालिक नियुक्ति: एवं जिनदासगणिरचिता चूर्णि ॐ श्रीदश- वैकालिक प्रत सूत्रांक [१-१५] गाथा ||३२५९|| ॥१४॥ कयवर सोहिचा कज्जइ तो सुंदरो य घिरी य भवइ, असोहिए पुण अधिरो भवइ, एवं कयवरचाणीए मिच्छत्ते असोहिए उच- 1 बतभंगाः । द्वाविज्जइ तो महव्वयाणि न थिराणि भवति, जहा आउरस्स ओसह वियरिज्जइ तं जइ वमणविरेयणाणि काऊण दिज्जह तो लग्मइ, | एवं जइ सहहितादिसु उचड्ढाविन्जति ता धरेइ महव्वए, असहहितासु अथिराणि भवति, जम्हा एते दोसा सम्हा पढियाए कहियाए सद्दहियाए परिक्खिते परिहरिए, अभिगते णाम जति अपव्वावणिज्जाणं गणतरो ण भवति ताहे विसुद्धो उक्ट्ठाविज्जति, तस्स य महम्बयाणि अभणियाणि न णज्जति तओ ताणि भण्णाति जहा-'पढमे भंते । महब्बए' ति (३-१४४ ) पढमति | Piनाम सेसाणि मुसावादादीणि पड्डच्च एतं पढम भण्णइ, मंते । ति आमंतणं सांसो वएसु उच्चारिज्जतेसु गुरुणो करेइ, महन्वर्य नाम महंत वतं, महत्वयं कथं , सावगवयाणि खुडग़ाणि, ताणि पहुच्च साहण बयाणि महंताणि भवंति, एत्थ निदरिसणे 'सीयालं मंगसयं' गाहा, न करेह न कारवेह करत नाणुजाणइ मणसा वयसा कायसा १, न करेइ न कारवेइ करत नाणुजाणद। मणसा वयसा २ अहवा न करेइ न कारवेइ करतं नाणुजाणइ वयसा कायसा ३ न करेह न कारखेद करतं नाणुजाणइ मणसाID कायसा ४ एते तिण्णिवि मंगा पायसो मुण्णा, तिविहं एगविहेण न करेइ न कारवेद करतं नाणुजाण मणसा ५ अथवा न करे। न कारवई करत नाणुजाणइ वयसा ६ अहवा न करेइ ण कारवेइ करत नाणुजाणइ कायसा ७ एते तिष्णिवि भंगा पायसो मुण्णा, एते सत्त मंगा तिविह अणमुयर्तण लद्धा, इयाणि दुविह तिविहेण-न करेह न कारवेइ मणसा वयसा कायसा अइवा न करेइ करतं | नाणुजाणइ मणसा वयसा कायसा अहवा न कारवेइ करतं नाणुजाणइ मणसा वयसा कायसा, एते तिष्णि भगा दुविहं तिविहण ॥१४४॥ लद्धा, इदाणि दुविहं दुविहेण-ण करेइ ण कारवेद मणसा वयसा १ अहवा न करेह ण कारवेह वयसा कायसा २ न करेइन कारवेइ ESEAॐ दीप अनुक्रम [३२-७५] R 434560 ... प्रथम महाव्रतस्य निरूपणं [157]
SR No.035056
Book TitleSachoornik Aagam Suttaani 06 Dashvaikaalik Niryukti Evam Churni Aagam 42
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherParam Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages398
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_dashvaikalik
File Size34 MB
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