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________________ आगम (४२) भाग-6 “दशवैकालिक'- मूलसूत्र-३ (निर्युक्ति:+|भाष्य+चूर्णि:) अध्ययनं [२], उद्देशक H, मूलं H I गाथा: [६-१६/६-१६], नियुक्ति : [१५२-१७६/१५२-१७७], भाष्यं [४...] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता: आगमसूत्र-[४२] मूलसूत्र-[०३] दशवैकालिक नियुक्ति: एवं जिनदासगणिरचिता चूर्णि प्रत सूत्रांक H गाथा ||६-१६|| ॥९२॥ श्रीदश-16*एवं करेंति संपण्णा, पंडिया पवियक्खणा। विणियदृति भोगेसु, जहा से पुरिसोत्तमोत्ति त्तियोमि (सू१६-९६) मोगनिवैकालिकाएबसदो अवधारणे वइ, किमवधारयति , जहा रहणेमिणा रायमतीचयणाई धम्मियाई सोऊण मणो दुप्पउत्तो नियत्तिओ, एवंद वृत्तिः चूर्णी साहुणावि संजमातो नीसरमाणो णियत्तेयब्बो, संपण्णा णाम पण्णा-बुद्धी भण्णइ, तीय बुद्धीय उववेता संपण्णा भण्णंति, पंडिया | पाण्डित्यं ३अध्ययने णाम चत्ताण भोगाणं पडियाइयणे जे दोसा परिजाणंती पंडिया, पविक्खणा णामावज्जभीरू भण्णंति, बज्जभीरुणो णाम संसारभउम्बिग्गा धोबमविपावं णेच्छति, विणियद्दति णाम विविहेहिं पगारहिं भोगेहिं अभिलसमाणं जीयं नियडेति, जहा पुरिसुत्तमोति स्थनेमित्ति वुत्तं भवति, बेमिणाम मणगपिया भणति-नाई स्वाभिप्रायेण अवीमि, किं तर्हि १, तीर्थकरस्य सुधर्मस्वामिन उपदेशाद् प्रवीमि । इदाणिं नया, 'णापंमि गेण्डितब्बे अगिाण्हियव्वमि चेव अत्थंमि गाहा||शा'सब्वेसिपि नयाणंबधिहवत्तब्वयं णिसामेत्ता । तं सवनयविमुद्धं जं चरणगुणढिओ साह॥१॥ एताओ गाहाओ पढियथ्याओ। श्रामण्यपूर्वकस्य चूर्णी समाप्ता॥ वितियजायणं घिणिमितं परूवियं, इदाणिं दढधितियस्स आयारो भाणितब्बो, अहवा सा धिती कहिं करेय्या , आयारे, एतेण अभिसंबंधेण खुडियायारकहाओ, तस्स चचारि अणुओगद्दारा जहा आवस्सगचुण्णीए नवरं इह नामनिष्फण्णो निक्खेवो खुड़ियायारकहत्ति, महंती आयारकह पप्प इयं खुडियायारकहा भण्णइ, साय महती आयारकहा धम्मत्थकामा भण्णइ, तम्हा मण्णा खुड्डो निक्खिपियवो आयारो निक्खिवियध्वो कहा निक्विवियचा, तत्थ पूबि खाओ निक्खिवियब्वो, सो य अभ समईतयं पहच्च खुडओ भण्णइ सं महतं ताप परूपोम, तं च महंतं अढविहं भवइ न० नाम ठवणादविए खेत्ते काले पहाण पड़ ४॥९२॥ दीप अनुक्रम [६-१६] RECId SROACANCEBO - अध्ययनं -२- परिसमाप्तं अध्ययनं -३- 'क्षुल्लकाचार' आरभ्यते [105]
SR No.035056
Book TitleSachoornik Aagam Suttaani 06 Dashvaikaalik Niryukti Evam Churni Aagam 42
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherParam Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages398
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_dashvaikalik
File Size34 MB
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