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________________ आगम (४०) भाग-4 “आवश्यक'- मूलसूत्र-१ (नियुक्ति:+चूर्णि:) 2 अध्ययनं १, मूलं [१] / [गाथा-], नियुक्ति : [९४९-९५१/९४९-९५१], भाष्यं [१५१...] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता: आगमसूत्र-[४०]मूलसूत्र [१] आवश्यकनियुक्ति: एवं जिनभद्रगणिरचिता चूर्णि-2 प्रत सूत्रांक नमस्कार | व्याख्यायो ***** परिणामि बुद्धि ॥५५९॥ ** दीप अनुक्रम [१] णिब्बिसताणि आणचाणि, पिया भौगाह णिमंतितो, गच्छति, राया सट्टो कतो, बरिसारने पुणे यच्चतस्स अकिरियाणिमित्त धिज्जातिएहिं उवरवरियाए परिभट्ठियारूवकतगुब्बिणी य तथा अणुब्रजति, तीए गहितो, सो पवयणस्स उहाहो होहित्ति भणतिजदि मए तओ जोणीए णीतु, अहण होति मर्म तो पोट्टं भिंदित्ता णीउ, एवं भणितो पोर्दू मिश्र, मया, वणो य जातो। कुमारो। खुड्गकुमारो जहा जोगसंगहेहिं । देवी, पुष्फभद्दे णगरे पुष्फसेणो राया, अग्गमहिसी य पुफाती देवी, तोसे दो चेडरूवाणिपुष्फचूलो पुष्कचूला य, ताणि अणुरत्ताणि भोगे अंति, देवी पवझ्या, देवलोगे उवण्णा, देवो जातो, सो देवो एवं चिंतेतिजदि एताणि एवं मरांति तो नरगतिरिएसु उववज्जिहंति, मुविणए सो देवो परए देवलोए य उचदंसेति, सा भीता जाता, पुच्छति | पासडिते, ण जाणति, अण्णियपुत्ता तत्थ आयरिया, ते सहाविता, तहेव सु कडेति,सा भणति-किं तुम्भेहिवि सिविणओ दिहो। सो भणति- अम्हं एरिसं सुत्ति दिट्ट, पब्वइया । देवस्स पारिणामिता ॥ पुरिमतालं नगर, उदितोदितो राया, सिरिकता देवी, दोण्णिवि सावगाणि, परिष्वाइगा जिता, दासीहि य मुहमक्कडिताहि वेलबिता, णिच्छूढा, पदोसमावण्णा, वाराणसीते धम्मरुई राया, तत्थ गया, फलयपट्टियाए रूवं सिरिकताए लिहितूण दाएति धम्मरुइस्स रण्णो, सो अझोववण्णो दूतं विसज्जेति, पडिहतो निच्छूढो, ताहे सव्ववलेण आगतो, णगरं गहेति, सो सावओ चिंतेति उदिओदिओ राया- किं एवडेणं जणक्खएण?, | उपवासं ठिओ, बेसमणेणं देवेणं सणगर साधिओ, उदितोदयस्स पारिणामिया। साधूणंदिसेणेत्ति, सेणियपुत्तो दिसेणो, सीसो | य तस्स ओधाणुप्पेधी तस्स चिंता-भगवं जदि (रायगिह) एज्जा तो देवीओ अण्णाणि य अतिसए पेच्छितूण जदि थिरो होज्जत्ति, भट्टारओ आगतो, सेणीओ सअंतेपुरो णीति, अण्णे य कुमारा संतेपुरा, पदिसेणस्स अंतेपुरं सेतं वरवसणं, पउमिणिमझे हंसीओ %25E5ॐॐॐॐॐॐ ॥९५९|| १९% (268)
SR No.035054
Book TitleSachoornik Aagam Suttaani 05 Aavashyak 2 Niryukti Evam Churni Aagam 40
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherParam Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages328
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aavashyak
File Size26 MB
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