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________________ आगम (४०) भाग-3 “आवश्यक"- मूलसूत्र-१ (नियुक्ति:+चूर्णि:) 1 अध्ययनं , मूलं - /गाथा-], नियुक्ति: [२२६-२२९/४२९-४३५], भाष्यं [४५] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता आगमसूत्र-[४०] मूलसूत्र-[१] आवश्यकनियुक्ति: एवं जिनभद्रगणिरचिता चूर्णि:-1 प्रत चूणों सत्राका DEEx णेव्याण चितगा ( ) एवं निव्वाणं गते भगवंते तएणं से सक्के ते बहवे भवणवतिवाणमंतरजोतिसवेमाणिए देवे | द एवं वयासी-खिप्पामेव भो गंदणवणाओ सरसाई गोसीसवरचंदणकढाई साहरह २ ततो चितगाओ रएह, एगा बट्टा धुव्वेणं निर्वाणम् उपोद्घाता सामिस्स, एगा तंसा दक्षिणेणं इक्खागकुलुप्पमाण, एगा चउरंसा अवरेणं अबसेसाणं अणगाराणं, तेऽपि तहेब करति । तए ण स " सक्के आमिओगे देवे सदावेति सद्दावेत्ता एवं वयासी-'खिप्पामेव भो! खोरोदगसमुहाओ खीरादगं साहरह, तेऽवि तहेब 6 साहरंति, तते ण से सक्के तित्थगरसरीरगं खीरोदएणं ण्हाणेइ, हाणित्ता सरसेणं गोसीसवरचंदणेण अणुलिपति २ हंसलक्खणं, ॥२२२॥ पडसाडगं नियंसेति नियंसेचा सवालंकारविभूसिय करेति, तए णं भवणबई जाच वेमाणिया गणहरसरीरगाई अणगारसरीरगाणिय खीरोदएण व्हावेंति सरसेणं गोसीसचंदणेणं अणुलिपंति २ अइयाई दिवाई चेव देवदूसजुयलाई नियंसेंति २ सव्वालंकारविभूसियाई करेंति । तए ण से सके बहवे भवणबति जाव वैमाणितादि एवं बयासी-खिप्पामेव भो' ईहामिगउसमतुरग जाव वणलतभत्ति चिचाओ ततो सीयाओ बिउबह, एग सामिस्स, एगं गणहराण, एर्ग अबसेसाणं, तेवि तहेव करेंति । ततेणं से सके विमणे जाव असुननयणे सामिस्स विणट्ठजम्मजरामरणस्स सरीरगं सीयं आरुभति जाव चितगाए ठवेति, तएणं ते बहवे भवणवति जाव वेमाणिया गणहराणं अणगाराण य विणड जाव सरीरंगाई सीय आरुभेति जाव चितगाए ठाउँति । तएणं से सक्के अग्गिकुमारे देवे सहावेति सद्दावेत्ता 'खिप्पामेव भो ! तिसुवि चितगासु अगणिकायं विउबह, तएणं ते अग्गिकुमारा विमणा निराणदा असुपुननयणा जाच विउव्यतिचि, अग्गिकुमारा देवा मुखतो अग्गिं विधा-सृजः, ततःप्रतीतं अग्गिमुखा चै देवाः इति । ताहे तहेब बाउकुमारा वात विउब्बंति, जाव अगणिकायं उज्जालेति । तए ण से सके ते बहवे भवणवति जाब एवं बयासी-खिप्पामेव भो तिमुवि चितगासु दीप अनुक्रम करम [234]
SR No.035053
Book TitleSachoornik Aagam Suttaani 04 Aavashyak 1 Niryukti Evam Churni Aagam 40
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherParam Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages320
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aavashyak
File Size25 MB
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