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आगम
(४०)
भाग-3 "आवश्यक- मूलसूत्र-१ (नियुक्ति:+चूर्णि:) 1
अध्ययनं H, मूलं - गाथा-], नियुक्ति: ६५/१४४], भाष्यं । पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता आगमसूत्र-[४०] मूलसूत्र-[१] आवश्यकनियुक्ति: एवं जिनभद्रगणिरचिता चूर्णि:-1
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प्रत सुत्रांक
भी
उपोद्घाता नियुक्ती
दीप अनुक्रम
सिरिया च सहस्स, जदि इत्थी इस्यि निदिसति इत्थिणिद्देसो, अह इत्थी पुरिसणपुंसए णिदिसइ सो अणिदेसो, जदि पुरिसोश्रीवीरस्य
परिसं णिदिसति पुरिसथिदेसो, आह पुरिसो इस्थिणपुंसए निहिसइ सो अनिद्देसी, एवं जदि निसियव्यं च निदिसओ य सो वश मवाः आवश्यकतं इच्छसि, सेस गरि इच्छणि सदो । एवं सेसाणवि विभासा ।। हयाणि निग्गमेत्ति दारं । सो य छविहो
६ नामगाहा ॥२-६६॥ नामनिम्गमो ठवण दब्ब० खेत काल. भाव०, नामस्थापने पूर्ववत्, वतिरितो दय्वनिग्गमो, सो
हि सचिचातो वा सचित्तस्स निम्ममो चउभंगो, सचित्ताओ सचित्तस्स निग्गमो जहा मूलाओ कंदो कंदाउ खंघो एवं, अहवा जहा इत्थीओ ॥१२७॥ गम्मो, सचिताको अचित्तस्स, जहा केसमंसुणहरोमादीणि, अचिचाओ सचित्तस्स जहा-कट्ठाओ पावगस्स, अहवा कट्ठाओ घुणस्स, 0
अचिचा अचिचस्स, जहा सीराओ दहि, दहितो णवणीतं, गवनीताओ धर्य, अहवा उच्छुरसाउ गुलो । अहवा दवाओ दव्यस्स IWI निम्मो, दबाओ का दण्याण, उमंगो, दवाओ दव्वस्स, जहा-रुवआ पयुत्ता रूवओ चेव पच्चाओ जातो, दबाओ दवाणं
जहा-एगेण रूपएणं बहव रूवया लदा, दन्वेहिंतो एगस्स दब्बस्स, जहा-बहहिं पउचेहिं एगो रूवनो लदो, पट्टीद पठत्तहि बहवे चेच लद्धा इति । खेचनिग्गमो-जामि सचे निम्ममो वत्रिज्जति, जो वा जाओ खेत्ताओ जिम्गओ एमादि, कालनिग्गमी-जर्षि काले किमो पत्रिज्जति, जो वा जातो कालाओ निग्गतो, मायणिग्गमो-जो जातो भावाओ निग्गवो जेण का भावेण निग्गओ इच्चादि,
जहबा इह तोस चेव दब्वखेत्तकालभावाणं भगवं पुरिमं गणिज्जतिकटु तम्हा भगवतो चेव निग्गमो परूवेतव्यों, तत्थिमा १२७॥ हाणिग्गमे पाममाधा
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