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________________ आगम भाग-1 "आचार" - अंगसूत्र-१ (नियुक्ति:+चूर्णि:) श्रुतस्कंध [१], अध्ययन [२], उद्देशक [५], नियुक्ति: [१९७...], [वृत्ति-अनुसार सूत्रांक ८६-९५] (०१) प्रत वृत्यक [८६ || घरति, अहवा नाणदंसणचरिचाई भावसंधी ताई लमित्ता से ण आतिए ण आतियावए' अणेसणिज णातिए णातियावए | आमगधिगंग सत्र णण्यं-ण अण्णमणुमोदए, अहवा णातिए णातियावइत्ति परकडपरणिद्वितंसि सईगालं सधूमं च विलमिव पण्णगभूतेणं सई (सयं) चूर्णिः | न आतिए आझ्यावए, सो एवं पिंडसंधिवियाणओ अणेसणिजविवजओ'सब्वामगंधं परिणाय' अहवा कयरो सो संधी जो २ अध्य० ५ उद्देश अणेसणिों णाइयति णातियावयतेत्ति, तं पुण अणेसणिझं 'सयामगंध परिण्णाय' सभात्रा ण अधिवरीतं आम, दम्वे भावे ॥७८॥ य चउमंगो, दग्वामं आमं दचं, भावामं उग्गमदोसो, अहवा आमग्गहणा उग्गाकोडी गंधग्रहणा विसोधिकोडी गहिता, एवं दुविहपरिणाए परिणाय 'निरामगंधो परिव्वए' ण तस्स आमं गंधो वा विजती निरागमगंधो, सनतो वए परिवए, सो एवं निरामगंधो परिव्ययंतो 'अदिस्समाणो न दिस्समाणो अदिस्समाणो 'कयविक्कयहिं किणणं को विकीणणं विक्कयो नकिणाति विकिणाति वा सो, कयविकये न दिस्सति, कीतकडग्गहणा सेसावि उग्गमदोसा गहिता, उग्गमदोसग्गहणा उप्पायणादोसा एसणादोसा य मुयिया, अहवा ण किणे ण किणावए किणतं गाणुमोदए, तिमि विसोहीकोडीओ गहियाओ,ण हणेइ ण हणावए हणंतं पाणुमोदए तिष्णि आमकोडीओ गहियाओ, ण पये ण पयावए पयंत नाणुमोदए तिणि गंधकोडीओ गहियाओ, D अविसोधिकोडीओबि बुचंति, एवं गवकोडीपरिसुद्धं विगईगालं विगतधूम, एवमादि पिंडदोसे परिहरतो पिंडणिमिचं वा अडतो 'से कालण्णे बलण्णे' कालं जाणइ सुभिक्खदुभिक्ख दिवसपमाणं रत्तिपमाणं, कालं वा जं वा जत्थ काले कापथ्यं, जो वा जत्थ | मिक्खाकालो, काले चरंतस्स उअमो सफलो भवति, अकाले विफल, 'बलण्णोति अपपरकतं चलं जाणति, ताव अडति जाव | सक्केति पडिनियत्तो भोत्तुं, अतिपरिस्संतो तं न तरति भो, जो पूण सति बले काले लामे य णियचति सो कि अण्णेसिं दाहिति ?, Lal॥ ७८॥ ९५] दीप अनुक्रम [८८९७] पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता......आगमसूत्र-[१], अंग सूत्र-[०१] "आचार' जिनदासगणि विहिता चूर्णि: [90]
SR No.035051
Book TitleSachoornik Aagam Suttaani 01 Aachaar Churni Aagam 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherParam Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages399
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size30 MB
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