SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 60
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आगम भाग-1 "आचार" - अंगसूत्र-१ (नियुक्ति:+चूर्णि:) श्रुतस्कंध [१], अध्ययन [२], उद्देशक [१], नियुक्ति: [१७२-१८६], [वृत्ति-अनुसार सूत्रांक ६२-७१] (०१) संसार प्रत वृत्यक श्रीआचा- कमाएहि य मूलट्ठाणं संसारो भवति, तस्थ अप्पसत्यमूलढाणेणं अहिगारो, उपसमियादी पसत्थभावा मोक्खडाणं, अहबा नवरांग सूत्र | संजमा जिव्वाणमूलट्ठाणं भवति, तत्थ संसारमूलहाणे इमा गाहा 'जह सबपायवाणं' (१८६-९०) अट्टविहकम्मरुक्खा चूर्णिः २ अध्य गाहा (१८७-९०) केवलणाणुप्पत्तीएरि पढमं मोहणिजं खविर, सो य पुण मोहो दुविहो 'दुविहो य होइ मोहो ॥४८॥ गाहा (१८८-९०) अट्ठावीसइविहंपि मोहं परूवित्ता चरितमोहणिजलोभस्स ई इस्थिपुरिसनपुंसगवेदेसु य कामा समोयरंति | तेण 'संसारम्स य मूलं' गाहा (१८९-९१) कम्मरस कसाया मूलं, जेण कसाया संपराइयं कम्म बंधति 'ते सयणपेसणअह' गाहा, माता मे पिता मे एवमादि, 'अण्णत्यो य ठिय'ति पिंटोलगस्स सपतणचंदस्स य एवेंगिदियाणं च अप्पेहितो सो संमारो, मो य पंचविहो-'दच्चे खेत्ते' गाहा (१९१-९२) दब्यसंसारो चउब्धिहो, तंजहा नेरइयदवसंसारो एवं तिरियदवPA समारो एवं मणुय देव०, एवं खित्ते ४, काले चउभंगो, भवे चत्तारि, भावे चउसुवि गईसु अणुभावो वष्णेयव्यो जहा जंबु. Aणामे, अहया दब्बाइ चउचिहो संसारो, तत्थ दब्धे अस्सा हस्थिणं संकमइ, खेने गामा नगरं, काले वसंता गिम्ह, भावे उदइया | उपसमितं कोधातो वा मागंति, संमारणिक्खेवो गतो। नस्ल मूलं कम्म नेण 'नामं ठवणा दविए' गाहाइय, | (१९२, १९३-९२) दब्धकम्म दुविह-दव्यकर्म मोदधम्म च, नन्थ दबकम्म जे अट्ठविहकम्मपायोग्गा पोग्गला बद्धा Nण तात्र उदिअंति, गोकम्मदब्बकम्भ करिमणातिकम्मं । इद्वाणि पयोगकम्म, जंमि पओए वट्टमाणो कम्मपोग्गले गिण्हइ तं | पयोगकम्म, समुदाणकम्मति ने जहा अवतरजोगगहिया पोग्गला बद्ध णिधन णिकाइया तं समुदायकम्म भवति अट्टविहं, Hईरियारहियं दुममट्टितियं वीयरागरूप भवति, आहाकम्मं जं आहाय कीरइ, तबोकम्म बारसविहं, किइकम्भ बंदणं, भावकम्म adkiimaanAMANA SUPRINCIPES [६२७१] दीप अनुक्रम [६३ ॥४८॥ ७२] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता.....आगमसूत्र-[०१], अंग सूत्र-[१] "आचार' जिनदासगणि विहिता चूर्णि: [60]
SR No.035051
Book TitleSachoornik Aagam Suttaani 01 Aachaar Churni Aagam 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherParam Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages399
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size30 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy