SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 344
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आगम भाग-1 "आचार" - अंगसूत्र-१ (नियुक्ति:+चूर्णि:) श्रुतस्कंध [२], चूडा [१], अध्ययन [१], उद्देशक [२,३], नियुक्ति: [२९७...], [वृत्ति-अनुसार सूत्रांक १०-२१] (०१) श्रीआचा रांग सूत्र चूर्णि ॥३३२॥ प्रत वृत्यक [१०-२१] भांति तंजहा-अणादायमाणे पडिगछति अन्नं वा, एवं सेसामुवि. एवं ता वहिता. सग्गामेविन कप्पति. जत्थेव सा संखडी सिया || पिडेपणातंजहा-गामंसि वा जम्हा तं पद, गाम वा २ गामादि पुब्ववणिया, णो अभिसं केवली जतो केवली पर समत्थो गाउं ते दोसे, श्ययन आदाणं दोसाणं, प्रभवो संभवः, अहवा केवलिवयणेण भणामि दोसे, ण सच्छंदेणं, कतरतरो केवली, मुयनाण केवली, आहा-1 कंमितादीणं संभवो, तत्थ ताओ संखडीओ एगदेवसियाओ जहा सरस्सईजत्ता अहाभदएसु य सघरपासंड० जावंतियादी दोसा | | तेसु पंतावणादीया दोसो, खुड्डितो दुवारे जातो, महाप्रकाशः प्रवात अवकाशाऽथं बहुपाणा, महिल्लियाओ दुवारियाओ खुड्डु| याओ सुसंगुप्तणिवावार्थ, यो वा णं साहुसमणजावंतियाणं अर्थाय समं भूमि विसमं करेति, साहू अट्ठाए पडिणीयद्वयाए वा, तो| हेमंते सीतरक्षणहूँ णिवाता, गिम्हसरते पवातिढुं, एता सव्वा पडिणीता, अणुकंपणट्ठा वा करेजा, अंतोवि बाहिं चाहिरिया | छिंदिया दलेति कुसा, खरा पिट्टेतो संथरंति, एस खलु भगवया एवं आहाकम्ममि संजतदोसा, तम्हा से संजते णिययढे तहप्पगारे | पुरिसे संखडि वा पुथ्वग्गामे पुरेसंखडी, अहवा पुब्बण्हे अग्गिट्टिगादी जाते वा पुरेसंखडी, पच्छिमा गामे पच्छा संखडी, अवरहे वा | जहा गिरिकनिगादी वा पच्छासंखडी, विवाहे वा पुव्यसंखडी दीजा, दयिता रसगेहीए उकस्संति काउं, अतिप्पमार्ण भुजित्ता | | पिवित्ता : एगाणियदोसेण वा वियडमादि पीतं होआ, जावजीवो बोसिरा वणिता, वमणं वमणा, वागहणात् छिद्रतं ण बमियं, | न सन्म परिणायं, अजीणगमित्यर्थः, आगत्य संकोचयंति आयुं सरीरं बुद्धी व संकोचयंतीति आयङ्को, अन्नतरो षोडशानां एकतरः | अहवा अण्णतरे दुक्खे 'अलसते विमर' गाहा, अलस एव अच्छति, विसूहगा एवमच्छइत्ति, बोसिरइवि एगतरं वा करेति, अहवा | आयको जरमादी, आर्यको सज्जघाती, रोगो कालेण, असंजता करणकारावणे जीवघाता, असमाधि जरं वा, केवली च्या पुच्च- ३३२॥ दीप अनुक्रम [३४४३५५] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता......आगमसूत्र-[१], अंग सूत्र-[०१] "आचार' जिनदासगणि विहिता चूर्णि: [344]
SR No.035051
Book TitleSachoornik Aagam Suttaani 01 Aachaar Churni Aagam 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherParam Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages399
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size30 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy