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________________ आगम भाग-1 "आचार" - अंगसूत्र-१ (नियुक्ति:+चूर्णि:) श्रुतस्कंध [१], अध्ययन [९], उद्देशक [२], नियुक्ति: २८४...], [वृत्ति-अनुसार सूत्रांक २२६/गाथा: १-१६] (०१) DAR प्रत वृत्यक [२२६गाथा १-१६] श्रीआचा चा- अरुहतो, उक्सग्गा दिब्बादि भयंकग भीमा संगमादिपउत्ता, ण एग तेसिं रूवमिति अणेगरूवा, एकेका चउब्धिहा, अहया मनुष्याधुसंग सूत्रचूर्णिः अणुलोमा पडिलोमा य, किंच-उवसम्माहिगारे एव तिरिक्खजोणियमणुस्सउबसग्गदरिसणस्थं पति-संसप्पगाय जे पाणा , पसगादि ॥३१४॥ संसप्पंतीति संसप्पगा-अदिनउलसाणमआरपिपीलियादि खायंति केइ भूमिगता केई कायगता अहवा पक्विणो उपचरंति | पक्खा तेसिं संतीति पक्खिणो, ते तु दंसमसगमक्खियादि, तेवि एगतावि उवचरिंसु, एगता दिवसउ रतिं वा, सोणीयादीहिं भिजमाणोवि ण अवज्झाणं गतवान् , मिसतरं झाणाइगतचेता आसी, अहमणुस्सगा अदु कुयरा उवचरिंसु अदु इति अर्ण-11 | तरे, कुत्थियं चरंतीति कुत्थियधारी, तंजहा-चोरा पारदारिया य, गार्म रक्खंतीति गामरक्खगा, हिंडिता चोरमाहा ते सत्तिकृतहत्थगता त उवचरंति, चोरपारदारिया परिसत्ति अभिवंति आहणंति, तंपि खयं लहुं चेव पउणति, गूढपहारोवि णिगिटुंबंधति, उबसग्गाहिगार एवं तेण चुचति अदु गामिता उवसम्गा इत्थी एगइया पुरिसा य, गामा जाता गामिता, गामो नाम खल-VA जणो, मणोवाकाथिए तिबिहेवि उबसग्गे, बतिमणसा अंतो, तस्स तं रूबंदह्र जहा जातं, पदोसारुहद्दणणेण जणो भयं करेति, अप्प-10 सत्था णं वायाए अकोसंति, कारणं तालंति, इच्छेते तिविहेवि गामिते उवसग्गे सहितातिया, अहया गामधम्मसमुत्था गामिता, ता तु इत्थी एगतरा पूरिसा य, इत्थीओ तं रूवमंतं रति आगंतुं उबसम्गति, गपुंसगा य, कम्मोदया अमिद्रवंति, मणसावि भगHAI तो ण पकुशवंति, अहवा एस अहंतणियाओ इत्थीओ पत्थेमाणो अम्हं अम्भासे वा समुवागतोति पुरिसा तं चाहणंति णिच्छु भंति पिटुंति वा, ते एते सम्वेहिंवि उवसम्गा तिविहा, तंजहा-इहलोइया परलोइया उभयलोइया य, ते य सम्वे सहियव्या, अतो भणिअति-इहलोइयाई परलोइयाई (७३) तत्थ इहलोइयाई माणुस्सग्गा, पारलोइया सेसा, अहवा इदलोइया इहलोगदुक्ख IM दीप अनुक्रम [२८८ Ka पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता......आगमसूत्र-[१], अंग सूत्र-[०१] "आचार' जिनदासगणि विहिता चूर्णि: [326]
SR No.035051
Book TitleSachoornik Aagam Suttaani 01 Aachaar Churni Aagam 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherParam Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages399
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size30 MB
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