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आगम
भाग-1 "आचार" - अंगसूत्र-१ (नियुक्ति:+चूर्णि:) श्रुतस्कंध [१], अध्ययन [१], उद्देशक [२], नियुक्ति: [६८-१०५], [वृत्ति-अनुसार सूत्रांक १३-१७]
(०१)
रांग पत्र
चणिः
॥१८॥
प्रत वृत्यंक [१३-१७]
दव्वं सरीरभविओ गाहा (७०-२९) आगमओ नोआगमओ य, आगमओ जसणं पुढवि०, गोमागमओ तिविहा- पृथ्वी जाणगसरीर० भवियसरीर० बहरिना, तत्थ बहरिचा एगमविय बद्धाउया अमिमुहणामगोयाई, भाव. पुढवीणामगोयाई
HEL निक्षेपाद
२ उद्देशः कम्माण वेदेमाणो जीवो भावपुढवी, गवो णामनिफण्णो निक्खेबो। परूवणा 'दुविहा थापरपुढवि' (७२-२८) गाहा ।।।
'पुढवी य सकरा चालुगा य एवं चत्वारि गाहाओ (७१,७४,७५,७६-२९) जान जलकतो सूरकतो 'वण्णरसगंधफासे| PM गाहा (७७-२९) वण्णादेसेण गंधक रस० फासादेसेण सहसम्गसो संखेजाई जोणीप०, तंजहा-किण्हो किण्हतरो किण्हतमो
एवं एकेके वणगंधरसफासे संजोगनिष्फण्णेसु वण्णादिसु संखेजाई जोणीप० 'जे बादरे विधाणा पजत्ता' गाहा ((७९-१९)" 'रुक्खाणं' गाहा (८०-३०)'ओसहीतण' गाहा (८१-३०) 'एकस्स' गाहा (८२-३०) 'एएहिं सरीरेहिं' गाहा (८३-३०) इदाणि लक्खण 'उबजोगों' गाहा (८४.३०) एयाण्ण उवजोगादीण सुत्तस्स मुच्छिपस्स या जहा अवत्ताणि 'अहिं जहा सरीरंमि अणुगतं' गाहा (८५-२१) इदाणि परिमाणं 'जे पादरपज्जत्ता' गाहा (८६-३१) 'पत्येण व कुलएण व' गाहा (८७-३२) लोगागासपए गाद्दा (८८-३२) 'निउणो य होइ' गाहा (८९-३२) 'अणुसमयं च' गाहा (८९-३२)। एगसमएण केवइया उववअंति?, असंखिजा लोगा, एवं उबवतावि, सम्बो चेव काओ असंखिजा लोगा, संचिडणावि असंखिजा लोगा। इदाणि उवओगो-'चंकमणा य' गाहा 'आलेवणा य' गाहा 'एएहिं गाहा (९२, ९३, ९४-३२) इयाणि'सत्थं हलकुलिय' गाहा (९५-३३) 'किंची सकायसत्यं गाहा (९६-३३) इयाणि वेयणचि 'पायच्छेयण' गाहा (९७-३३) 'णस्थिय सिपंगभंगा' गाहा (९८-३३) इदाणि चवणत्ति, जस्थ ण लजमाणो तत्थ 'पचदंति च अणगारा' IDIT१८॥
दीप अनुक्रम
[१३-१८]
पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता......आगमसूत्र-[१], अंग सूत्र-[०१] "आचार' जिनदासगणि विहिता चूर्णि:
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