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________________ आगम भाग-1 "आचार" - अंगसूत्र-१ (नियुक्ति:+चूर्णि:) श्रुतस्कंध [१], अध्ययन [4], उद्देशक [१], नियुक्ति: [२५३-२७५], [वृत्ति-अनुसार सूत्रांक १९७-२०१] (०१) ॥२५४॥ प्रत वृत्यक [१९७२०१] श्रीआचा- एवं एगे विप्पतिवन्ना, अबहावि उभयथावि आयार प्रति एगे विप्पडिवण्णा, केइ सुहेणं धम्ममिति, केइ दुक्खेणं, केइ हाणेणं धर्महेत्वादि संग सूत्र 0 केइ मोणेणं, केद गामवासेणं केइ अरणवासेणं, एवं दिट्टप्पगारेणं आयारपगारेहिं आयारपगारेहि य विविहं प्रतिपण्णा मामगं चूणिः सिद्धत, मम एगो सिद्धतो, अण्णे पण्णवेंति परूवेंति दंसेंति उचदंसेंति, इह सुद्धी नान्यत्र, अहवा सयं सयं पसंसंति, एवमादि, Yएवं मामगं धम्म पण्णवेमाणा तेसिं अणुढे धम्माणं विप्परिणाम करेंति, जतो एवं तेण हरतो व यम्यो, जइ पुण गिलाणादि-IN कारणेण गतं अण्णत्थवि कत्थति, परिसाए वा अपरिसाए वा आगलेजा, तत्थ आगने सति पासणिते गिहिता जं जं धावेंति | | तत्थ तत्थ वत्तब-एस्थवि जाणह अकम्मा, यदुक्तं-एगतेणं अस्थि लोगोत्ति, अस्थित्तणामो एतं ण भवति, कम्हा !, परिणा | विरोधाओ, तनहा-जं अस्थि तं लोगो, तप्पडिपक्खो य अलोगो, सोचि अथिचिकाउं लोग एवं अलोगो, अभावो, अलोगअभावे AN| य तप्पडिपक्लभूयस्स लोगस्सवि अभावो, सवगतो वा लोगस्सेति, अहया अलोगो अस्थि य, ण य लोगो भाति, नेण लोगोवि | अस्थिणा लोगो भवति, तेणं लोगस्स अभावो पावति, अणिटुं च एतं, लोगबहुतपसंगो य, एवं तंजहा घडोवि अस्थि, सोवि लोगो, पडोवि अस्थि सोचि लोगो; एवं लोगबहुचं, पतिण्णाविसेवाओ य, तब जं अस्थि लोगो तेण पदण्णावि अस्थि स लोगो, हेऊवि अस्थि सोवि लोग इतिकाउं पइण्णाहेऊणं एगतं, एगने य हेउअभावी, तस्स भावे य किं तेण पडिबजति ?, अह अस्थिNA नाओ अप्यो लोगो तेण लोगस्स अभावे पइन्नाहाणी, जह एत्थं एगवेणं लोगअस्विते असदतेतदुवद्रुितं तहा इहपि जाणह हे | AV सिस्स ! अकम्ना अहेऊण कम्मा अकम्मा, जं भणितं-अहेतुं, जं चुन-गस्थि लोएत्ति, किं भवं अस्थि गस्थिति ?, जति | अस्थि लोगअंतगतो वा न वा?, जति लोपअंतगतो कई भणसि-अस्थि लोगो ? अहन लोगअंतगतो तेण न लोकसि खरविसाणं || ||२५|| दीप अनुक्रम [२१०२१४] पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता......आगमसूत्र-[१], अंग सूत्र-[०१] "आचार' जिनदासगणि विहिता चूर्णि: [266]
SR No.035051
Book TitleSachoornik Aagam Suttaani 01 Aachaar Churni Aagam 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherParam Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages399
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size30 MB
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