________________
आगम
भाग-1 "आचार" - अंगसूत्र-१ (नियुक्ति:+चूर्णि:) श्रुतस्कंध [१], अध्ययन [६], उद्देशक [५], नियुक्ति: [२५२...], [वृत्ति-अनुसार सूत्रांक १९४-१९६]
(०१)
प्रत
वृत्यक [१९४१९६]
श्रीआचा-10 गिहाणि पिप्पंति, ताणि तु मिक्खाणिमित्तं पविसिजति, गिहतो गिहाणं वा अंतरं, ततो परं गामो, जेण वुचति-गामेसुवा, मणि-ID गृहान्तरादि रांग सूत्र
| वेसणे साही पाडओ वा तेसिं वा, अंतरालं रत्थातियचउकचच्चरं वा, विहारभूमीगयस्स वा, गच्छंतस्स वा, एवं विहारभूमीएवि. चूर्णिः |
उजाणतरेण उआणगतस्स बा, जहा बंदगस्स उवसग्गा कया उजाणाओ, सेसं गामंतरं तु गामओ गामाणं वा अंतर | ५ उद्देशः
गामांतरं, पंथं उपहो वा, एवं नगरेसु वा नगरंतरेसु वा जाब रायहाणीसु वा रायहाणीअंतरेसु वा, एत्थं सण्णिगासो कायब्बो ॥२३५॥
अस्थतो, तंजहा गामस्स य नगरस्स य अंतरे, एवं गामस्स खेडस य अंतरे, जो गारवदोसे ण पावति 'हं भो दुस्समए दुष्पजीवी' तहा विरते, तेसुवि णाम तस्स सण्णायगा कयरेसु कम्मेसु चिरमंतिताणि य, सो अविहवं, गामस्स खेडस्स अंतरे जाव गामस्स | रायहाणीए य । एवं एकेक छड़ेंतेणं जाव अपच्छिमे रायहाणीए य, एवं एकेकतेसु जहुदिउसु जणवयंतरेसु वा अद्धाणपडिवास्स | अच्छतस्स या जाप काउस्सगं ठाणं वा ठियस्स संतेगड्या जणा लूसगा भवंति संतीति विजंतीति, एगतिया, ण सम्वे, जायंतीति जणा, तंजहा-नेरइया तिरिक्खजोणिया तहा मणुस्सा देवा, तत्थ नेरइया उवसम्गे प्रति अवत्थू , सेसा करेंति, तत्थचि मणुस्सा विसेसेणं, तत्व भंगा-एमइया जणा एगइयाणं साहूणं अणुलोमे उवसग्गे करेंति, अत्थेगइयाणं पडिलोमे उबसग्गे, अस्थेगतिया जणा एगतियाणं अणुलोमेवि उवसग्गे, अत्गइया जणा णावि अणुलोमे णावि पडिलोमे, मज्झत्या चेव । तत्थ देवा | चउबिहा-हासा पयोसा वीमंसा पुढोमाया, वीमंसा जहा कामदेवस्स, माणुस्सगा चउनिहा-हाम्रा पयोसा बीमंसा कुसीलपडि| सेवणा, तिरिक्खजोणिया चउबिहा-भया पदोसा आहारहेड वा अवचलेणसारक्खणया, साणगोणादि भएण पदोसेण य, सीह- | हो बग्धा आहारहेउं, अबञ्चलेणसारक्खणयाए वायसमेण्ठाति । लूसंतीति लूसगा, सरीरलूमगा संजमलूसगा वा पडिलोमा, अणुलोमा | |२३५||
a
LEE
दीप अनुक्रम [२०७२०९]
पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता......आगमसूत्र-[१], अंग सूत्र-[०१] "आचार' जिनदासगणि विहिता चूर्णि:
[247]