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________________ आगम भाग-1 "आचार" - अंगसूत्र-१ (नियुक्ति:+चूर्णि:) श्रुतस्कंध [१], अध्ययन [५], उद्देशक [५], नियुक्ति: [२४९...], [वृत्ति-अनुसार सूत्रांक १६०-१६५] (०१) प्रतिपूर्णतादि श्रीआचा- रांग सूत्र चूर्णिः ॥१९॥ प्रत वृत्यक [१६०१६५] णिक्खमणपवेसे, इहरहा च ण सकति चोरादीहिं तस्य गंतुं, जे तु पट्ठिउकामा, अहया मुत्तस्स तेणेव उवसंथारो पडिपुण्णो से |पास सबओ गुत्तों' सेत्ति णिसे, पस्सत्ति-युज्झत्ति, सचओ गुचेति-सब्वेहि पहिपुण्णादीहिं हरदगुणेहिं उपसंथायरेयव्यो) सव्वेहि इंदिएहिं गुत्ते य, से जाण लोए०, तत्थ महेसिणो गणहरा सोयमज्झट्ठिया, 'जे य पण्णाणमंता पयुद्धा' मिसं नाणमंता चोदसपुव्वधरा जे अण्णे गणहरवजा परंपरएण आगया आयरिया जाव अञ्जकालं, बुद्धा ओहिमणपज्जवनाणिणो सुयधम्मे वा बुद्धा जे जहि काले, ण पुण अब्बचा एगचरा वा बत्ता, जेऽवि ण जिणमादिट्ठा णाणाई पावंति गुरुकुले वसंता ते सामाधारीफुसला | भवंति 'आरंभोवरय'चि अण्णाण कसायणोकसाय असंजमो वा आरंभो, उवरया णाम विरता, जे आरंभउपरता 'एतं संमति पासह, 'कालखी परिचए' कालो णाम समाहिमरणकालो तस्स कालस्स कंखाए एवंविहसारजुत्ता गुरुकुलवासिणो सम्बओ वयंतीति, बेमित्ति करणं अशायअझयणमुयखंघअंगपरिसमत्तीए भवति, इह उ पगरणसमत्तीए दहब, गतं आयरियपगरणं, इदाणि सिस्सपगरणं आरम्भति, तस्थ अत्था तिबिहा-मुरहिगमा दुरहिगमा अणहिगमा य श्रोतारं प्रति, तत्थ सुरहिगमेण अहिगारो, अणहिगमावि अवत्थू , दुरहिगमेसु तु 'वितिगिच्छासमावणेणं' (स. १६२) तत्थ तार दरिसणे संका भवति, जइ धम्मस्थिकायो गतिलक्खणो तेण णिचमेव गई भवतु, अधम्मस्थिकायो द्विति तो य निघठाणं किं न भवति, आयरिओ भणइ-धम्मस्थिकायो न रज्जू जहा तहा कट्टति, किंतु गतिपरिणतस्स उवग्गहे बट्टति मन्छजलवत् , एवं आगासस्थिकाएवि, जीवाइसु वा गवसु पदत्थेसु परियतस्स वा पडिपुच्छ अणुप्पेहं धम्म वा कहेंतस्स एगपदे अणेगेसु वा वितिगिच्छा उप्पजेजा, किं अयं अत्थो एवं अनहिति, एवं संकिते ण लभते समाहि, समाही णाम एगगगं, तिविहा या समाही, तत्थ सम्मईसणसमाहीए अहिगारो, ते ॥१९॥ दीप अनुक्रम [१७३१७८] र पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता......आगमसूत्र-[१], अंग सूत्र-[०१] "आचार' जिनदासगणि विहिता चूर्णि: [202]
SR No.035051
Book TitleSachoornik Aagam Suttaani 01 Aachaar Churni Aagam 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherParam Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages399
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size30 MB
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