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________________ आगम भाग-1 "आचार" - अंगसूत्र-१ (नियुक्ति:+चूर्णि:) श्रुतस्कंध [१], अध्ययन [४], उद्देशक [२], नियुक्ति: [२२७-२३३], [वृत्ति-अनुसार सूत्रांक १३०-१३३] (०१) प्रत श्रीआचा परूविता, परूवितं पण वितंति एगट्ठा, एवं एयाणि पदाणि संबुज्झमाणो अण्णेसिपि अक्खाति, अबुज्झमाणो कि आघाहिति?,D प्रतिपन्नसंग सूत्र-णाणं से अस्थीति नाणी 'इहे'ति इई प्रवचने मणुस्सलोए था, केसिंचि माणवाण, जं भणितं-मणुस्साणं, अहवा माणवा जीवत्ति | संसारादि चूर्णिः | जीवाणं अक्वाति, किं अक्खाति १,'जे आसवगा ते परिस्सवगा','संसारपडिवण्णाणं' उमस्थाणं केवलीणं, तत्थ नेरदयाण | ॥१३९॥ ण केवल चरित्ताचरितं चरितं च, देवेहिवि णस्थि, चरिचं तिरिएसु णत्थि अतो मणुस्साणं अक्खातं, तेसुवि उद्वितेसु वा जाव सोवधिएसु वा, इह तु विसेसणे 'संबुज्नमाणाणं' सम्मं वोधिः संबोधिः, साय तिविदा-नाणाति, उबडितादी जति संबुझंति ततो तेसि कहेति, मुणिसुव्रतसामितित्थगरदिट्ठतो, विसिट्ठनाणपत्ताणं जं भणितं मेहावीणं, अहवा विनायति जेण तं विण्णार्ण, | कित, मणो, जं भणित-समणाण पत्ताणं, बोहिनाणियोः को विसेसो १, बोही तिविहा, विभाणं नाणविसेसो, भदन्तणागज्जुण्णिया पढ़ति-'आधाति धम्म खलु से जीवाणं संसारपडिवण्णाणं मणुस्मभवत्थाणं आरंभठियार्ण दुक्खुब्वेषसुहेसगाणं धम्मसवणगवेसगाणं निक्वित्तसस्थाणं सुस्सूसमाणाणं पडिपुच्छमाणाणं विष्णाणपत्ताणं' तं एवं धम्म कहिजमाणं सप्पभावजुतं,अविय 'अष्टावि संता अदुवा पमत्ता' पडिवअंतित्ति बकसेसं, दवभावअट्टो पुब्बभणितो, भावअट्टोऽवि पडिवाइ जहा चिलातपुत्तो, पमत्ता विसयमजातिपमातेण पमनावि पडिवअंति,जहा सालभदसिवभूतिमादि, किं पुण जे अणहा ?, जं भणित-विश्यनिरासा, जह इंदणागसिवातिया, अहवा अट्टाक्खिता तेऽवि पडियञ्जति वेयणामिभूतादि पमत्ता सुहिता, पचिया मणुस्सा सुहिता वा | दुहिता वा, अहवा तं एवं अक्खातं धम्मं अपडियजमाणा अट्ठा रागदोसेहिं पमना विसएहि अण्णा उत्थियनिहत्था पासत्थादओ वा| संसारमेय विसंति 'अहासबमिणति बेमि' अहामञ्चं इदमिति-सुयधम्म चरित्तधम्मं च, से बेमिनि कि ? भणितं वक्खमाणं १३९॥ वृत्यक [१३०१३३] दीप अनुक्रम [१४३१४६] र पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता.....आगमसूत्र-[०१], अंग सूत्र-[१] "आचार' जिनदासगणि विहिता चूर्णि: [151]
SR No.035051
Book TitleSachoornik Aagam Suttaani 01 Aachaar Churni Aagam 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherParam Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages399
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size30 MB
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