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________________ आगम (४५) [भाग-३९] “अनुयोगद्वार"-चूलिकासूत्र-२ (मूलं+वृत्ति:) ................ मूलं [१३९] / गाथा ||१०७-११०|| .......... पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...आगमसूत्र-[४५], चूलिकासूत्र-२] अनुयोगद्वार मूलं एवं हेमचन्द्रसूरि-रचिता वृत्ति: प्रत सूत्रांक [१३९] अनुयोग मलधारीया वृत्तिः उपक्रमे प्रमाणद्वार ॥१८ ॥ गाथा: ||--|| वालग्गं अवहाय जावइएणं कालेणं से पल्ले खीणे नीरए निल्लेवे णिट्रिए भवइ, से तं ववहारिए उद्धारपलिओवमे । एएसिं पल्लाणं कोडाकोडी हवेज दसगुणिया । तं ववहारिअस्स उद्धारसागरोवमस्स एगस्स भवे परिमाणं ॥१॥ एएहिं वावहारिअउद्धारपलि ओवमसागरोवमेहिं किं पओअणं?, एएहिं वावहारिअउद्धारपलिओवमसागरोवमेहि णत्थि किंचिप्पओअणं, केवलं पण्णवणा पण्णविजइ, से तं वावहारिए उद्धारपलिओवमे। से किं तं सुहमे उद्धारपलिओवमे?, २ से जहानामए पल्ले सिआ जोअणं आयामविक्खंभेणं जोअणं उव्वेहेणं तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं, से णं पल्ले एगाहिअबेआहिअतेआहिअ उक्कोसेणं सत्तरत्तपरूढाणं संसटे संनिचिते भरिए वालग्गकोडीणं, तत्थ णं एगमेगे वालग्गे असंखिज्जाइं खंडाई कजइ, ते णं वालग्गा दिट्टीओगाहणाओ असंखेजइभागमेत्ता सुहमस्स पणगजीवस्स सरीरोगाहणाउ असंखेज्जगुणा, ते णं वालग्गा णो अग्गी डहेजा णो वाऊ हरेज्जा णो कुहेजा णो पलिविद्धंसिज्जा णो पूइ दीप अनुक्रम [२८०-२८८] NCE ॥१८ ॥ JaEhtrina ~371
SR No.035039
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 39 Anuyogdwar Mool evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages560
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuyogdwar
File Size129 MB
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