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आगम (४५)
[भाग-३९] "अनुयोगद्वार"-चूलिकासूत्र-२ (मूलं+वृत्ति:)
................ मूलं [१३४] / गाथा ||१००...|| ........... पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...आगमसूत्र-[४५], चूलिकासूत्र-[२] अनुयोगद्वार मूलं एवं हेमचन्द्रसूरि-रचिता वृत्ति:
प्रत सूत्रांक
[१३४]
अनुयो. मलधारीया
वृत्तिः उपक्रमे प्रमाणद्वारं
॥१६२॥
गाथा:
हिआ इ वा सहसहिआ इ वा उढरेणू इ वा तसरेणू इ वा रहरेणू इ वा, अट्ठ उसहसण्हिआओ सा एगा सहसण्हिआ, अट्ठ सहसण्हिआओ सा एगा उड्डुरेणू, अट्ट उतरेणुओ सा एगा तसरेणू, अट्ट तसरेणूओ सा एगा रहरेणू, अट्ठ रहरेणूओ देवकुरुउत्तरकुरूणं मणुआणं से एगे वालग्गे, अट्ट देवकुरुउत्तरकुरूणं मणुआण वालग्गा हरिवासरम्मगवासाणं मणुआणं से एगे वालग्गे, अट्ट हरिवस्सरम्मगवासाणं मणुस्साणं वालग्गा हेमवयहेरण्णवयाणं मणुस्साणं से एगे वालग्गे, अट्र हेमवयहेरपणवयाणं मणुस्साणं वालग्गा पुत्वविदेहअवरविदेहाणं मणुस्साणं से एगे वालग्गे, अट्र पुव्वविदेहअवरविदेहाणं मणुस्साणं वालग्गा भरहएरवयाणं मणुस्साणं से एगे वालग्गे, अट्ठ भरहेरवयाणं मणुस्साणं वालग्गा सा एगा लिक्खा, अट्ठ लिक्खाओ सा एगा जूआ, अट्ठ जूआओ एगे जवमज्झे, अट्ट जवमझे से एगे अंगुले । एएणं अंगुलाणपमाणेणं छ अंगुलाई पादो बारस अंगुलाई विहत्थी चउवीसं अंगुलाई र
वयाणं मागविदेहाणं मणुस्सावालगा सा एगा माझे से एगे अंगुलगुलाई र
दीप अनुक्रम
[२५७
॥१६२॥
-२७०]
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