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आगम (४५)
[भाग-३९] "अनुयोगद्वार"- चूलिकासूत्र-२ (मूलं+वृत्तिः )
........... मूलं [१२७] / गाथा ||२४|| ..................... पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...आगमसूत्र-[४५] चूलिकासूत्र-२] अनुयोगद्वार मूलं एवं हेमचन्द्रसूरि-रचिता वृत्ति:
प्रत
सूत्रांक
[१२७]
गाथा ||१||
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निप्फण्णे ?, उदइएत्ति मणुस्से उवसंता कसाया खइ सम्मत्तं खओवसमिआई इंदिआई, एसणं से णामे उदइएउवसमिएखइएखओवसमनिष्फण्णे १, कयरे से नामे उदइएउवसमिएखइएपारिणामिअनिप्फण्णे ?, उदइएत्ति मणुस्से उवसंता कसाया खइअं सम्मत्तं पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे उदइएउवसमिएखइएपारिणामिअनिष्फण्णे २, कयरे से णामे उदइएउवसमिएखओवसमिएपारिणामिअनिष्फण्णे ?, उदइएत्ति मणुस्से उवसंता कसाया खओवसमिआई इंदिआई पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे उदइएउवसमिए खओव० पारिणा० ३, कयरे से णामं उदइएखइएखओवसमिएपारिणामिअणिप्फपणे ?, उदइएत्ति मणुस्से खइ सम्मत्तं खओवसमिआइं इंदिआई पारिणामिए जीवे, एस णं से नामे उदइएखइएखओवसमिएपारिणामिअनिप्फन्ने ४, कयरे से नामे उवसमिएखइएखओवसमिएपारिणामिअनिप्फन्ने ?, उवसंता कसाया खइ सम्मत्तं खओवसमिआई इंदिआई पारिणा
दीप अनुक्रम [१६१-१६३]
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