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आगम
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[भाग-३८] “नन्दी”- चूलिकासूत्र-१ (मूलं+वृत्ति:)
.......... मूलं [३५-३६]/गाथा ||७४...|| .............. पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र[४४] चूलिकासूत्र[१] नन्दीसूत्र मूलं एवं मलयगिरिसूरिरचिता वृत्ति:
प्रत
प्रतिबोधकदृष्टान्तोमल्लकरक्षन्तव
सूत्रांक [३५-३६]
सू, ३६
दीप अनुक्रम [११९-१२०]
अब्वत्तं सदं सुणिजा तेणं सहोत्ति उग्गहिए, नो चेव णं जाणइ के वेस सदाइ, तओ ईह पविसइ, तओ जाणइ-अमुगे एस सद्दे, तओ णं अवायं पविसइ, तओ से उवगयं हवइ, तओ धारणं पविसइ, तओ णं धारेइ संखेज वा कालं असंखेजं वा कालं। से जहानामए केई पुरिसे अव्वत्तं रूवं पासिजा, तेणं रूवत्ति उम्गहिए नो चेव णं जाणइ के वेस रूवत्ति, तओ ईहं पविसइ, तओ जाणइ-अमुगे एस रूवेत्ति, तओ अवायं पविसइ, तओ से उवगयं हवा, तओ धारणं पविसइ, तओ णं धारेइ संखेज वा कालं असंखिजं वा कालं । से जहानामए केई पुरिसे अव्वत्तं गंधं अग्घाइज्जा, तेणं गंधत्ति उग्गहिए, नो चेव णं जाणइ के वेस गंधेत्ति, तओ ईहं पविसइ, तओ जाणइ अमुगे एस गंधे, तओ अवायं पविसइ, तओ से उवगयं हवइ, तओ धारणं पविसइ, तओणं धारेइ संखेज वा कालं असंखेजं वा कालं । से जहानामए केई पुरिसे अव्वत्तं रसं आसाइजा,तेणं रसोति उग्गहिए,नो चेव णंजाणइ के वेस रसेत्ति,तओ ईहं पविसइ. तओ जाणइ-अमुगे एस रसे,तओ अवार्य पविसइ,तओ से उवगयं हवइ, तओ धारणं पवि
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