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________________ आगम ( ३६ ) प्रत सूत्रांक [३०] दीप अनुक्रम [२३२] spape अत्र उद्देशकः १० आरब्धः “व्यवहार” - छेदसूत्र - ३ (मूलं) उद्देश: [९] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित .......आगमसूत्र [३६], छेदसूत्र - -------- - ~ 140 ~ मूलं [३०] [३] "व्यवहार" मूलं बोधसाला दोससाथ सोसियसाला बोडियाला गन्धियसाला एवं से कप्पड़ पडिमा ए १९-३० सामारियस्स सोंदिवसाला ३१-३२ सारियरस जोसहीजो संपाजी, म्हादा, नो से कम्प पढिगानए ३३ सारियरस ओसीओ असंपढाओ, तम्हा दावए एवं से कप्पा पहिगाहेतए ३४ सारियरस अम्बफला एवं से पडिमा '७४' ३५-३६ सत्तसत्तमिया गं मिक्सुपडिमा एगुणपचाए राईदिएहिं एगेनं उचएवं मिक्लास अहामुतं अहाकप्पं अहाम महाल सम्म कान फासिया पालिया सोहिया तीरिया किट्टिया आणाए अनुपालिया नगद ३७ अअमिया मिस्सुपडिमा नं परसहीए राईदिएहि दोहि असीएहि मिसाएहि अहा ० अणुपालिया नया ३८ नवनवमिया णं भिक्खुपडिमा एमासीएहिं राईदिएहिं चउहि य पञ्चुतरे मास महासु जाव अनुपालिया मग ३९ ददमिया भिक्खुपडिमा एमेगं राईदिवसणं अदछहि व मिक्वासएहि जातं जा म '८५'४० दो परिमाओ पं० [सं० सुट्टिया चेन मोचपडिमा महलिया चैव सोयडिमा, सुडयन मोपपडिमं पहिचन्नस्स अणगारस्स कप्पर से पदमसरयकालसमसिना परिमनिदानमसि वा बहिया ठाइया गामस्स या जाप संनिवेसस्स वा वसि या दुसया पति वा पश्यचिदुवा, भोबा आमा पोइसमे पारे अमोबा आरुम सोलसमे पारे जाए जाए मोए दिया आगच्छ दिया पेन आइयच्चे, राई आगच्छ नी आइये, सपाने मते आगच्छ नो आइयच्चे, अपाणे मत्ते आगच्छ आइयच्चे एवं सीए ससिद्धेि सरकले मसे आगच्छ नो आइये अबीए अतिथि अस रक्ले मते आगच्छ आइयचे जाए जाए मोए आइय से अवा बहुए वा. एवं सा या मोयपडिमा अहासुतं जाय अनुपालिया भद्द ४१ मो डिमं पटमसर जा पा भोबा पारे, अमोचा आरुमह अहारसमे पारे जाए जाए मोए आइयव्ये आणाए अणुपाला व ४२॥ संखादलियरस में मित्रम्स पहिग्गारिस माहाकुवापडिया अणुपवस्त जातियं २ अन्तो पडिग्गसि उच्च मा साहयाओ दसीओ वत्तनं लिया, तत्य से के छप्पन वा दूसएन वा चालणा अन्तो पग्मिसिउदा साचिणं सा एगा दत्ती बत्तन्वं सिया, तत्य से पहवे मुझमाणा सच्चे ते सर्व सर्व पि साहणिय २ अन्तो पट्टिमास उचिताजा साचिणं सा एगा दतीति तवं सिया ४३ संखादतियरस में मिक्स पाणिपहिग्नहियस्थ जावइयं अन्तो पाणिसि पडिग्गईसि० प सिया ११५४४ ति उपोपडे फाडे सोडे ४५ विहे ओहिए पं० [सं०] चन्दिचसार जंच आसर्गति पनि एमे एमाइंस एगे पुन एवमाह-हे जग्गाहिए पंन्हि जे च आसगंसि पक्लिप १२८ । ४६ ॥ नमो उसओ ९ ॥ दो परिमाओ पं० तं जयमा चन्द पडिमा रमा चन्दपडिमा जनमज्झणं चन्दपडिमं पटिवक्षस्स अणगारस्समा पोसकाए पियसदेहे जे केई उपसमा समुप्यजति तं दिशा वा माणुसमा वा तिरिक्तजोगियाना अलोमा या पढिलोमा वा तत्यालोमा ताना नमसेज या सारे वा सम्मान या मंगदेव या तत् पहिलोमा अन्नयरेण दंडे या अडिया वा जोतेण वा वेलेण वा कसे या काए आउला वा ते सत्रे उप्पन्ने सम्म सहेजा जायजा जनमज्झणं दपदिमं परिपन्नस् अयगारस कपास पानिए कल्प एना दत्ती मोपणस्स पडिमा एगा पाणस्स, सोहि दुप्पयचटप्पयाइएहि आहारकखीहिं सत्तेहि पडिमियतेहिं अन्नाय सु कप्पद से एम प्रमाणस्स पडिगाए नी दोन्हं नो हि नोच नोच नोची नो या नो दार जमानीए नो सेप्पस दोषि पाए साइड लमाणीए परिमाहिनए नो० बाहिं एयरस दोषि पाए साइट दलमानीए पडिगाए एवं जाना एवं पायें तो किया एवं पार्थ माहि किया एवं विसम्भा एपाए एसणाए एसमाणे भेजा जहारेना, एयाए एसएएसमा नो भेजो आहारज्जा, चियाए से कम दोणि दत्तीओ मोपणस परिगालए दोणि पाणस्स कम्प जानो आहारा एवं तहयाए तिमि जार पसरसीए पास, बहुलपलस पाटिचए कति चोट जान चोरसीए एकादसी भोयणस्स एका पाणगस्स सोहि पचपय जा नो आहारा जमावासाए से व अमल मन एवं एसा जनमदपडिमा अहा अहा जाय अणुपाडिया भवति । परमचंदपतिमं पविन्नस अ गारस्समा अहियासेजा, पदपडिमं पविचरस अणगारा बहुल पाहिनए कप्पह पष्णरस दसीओ भोषण पटिमाहित पण्णरस पाणगरस सहिंदुपय चप्पय बीयार से कप्पा चोरस एवं पन्नरसीए एमा दत्ती परिवार से कप्पर दो सीओ बीयाए तिन्नि जान सीए पण्णरस पुग्नमा अमषा एवं एस मज्झचंदपडिमा अहासुतं महाकप्पं जाव अनुपालया ५०२चारे पं० [सं०] आगमे सुए आना धारणा जीए तत्थ जागगे सिया आगमेबारे पविनो ९७८व्या देसी - २० मुनि दीपरत्नसागर ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ deva
SR No.035027
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 27 Maransamadhi Prakirnak Mool evam Sanskrit Chhaya Nishith Bruhatkalp Vyavahar Dashashrutskandh Mahanishith 5 Chhedsutrani Moolam Jitkalp Moolam evam Bhashyam Panchkalp Bhashyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages330
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_maransamadhi
File Size99 MB
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