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________________ आगम (३६) “व्यवहार" - छेदसूत्र-३ (मूल) ---------- उद्देश: [५] ---------------------------------------- मूलं [२१] ---------- मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [३६], छेदसूत्र - [3] "व्यवहार" मूलं 4% प्रत सूत्रांक [२१] जे निग्मन्या व निगान्धीओ यसमोइया सिया नो तेर्सि कप्पह जन्नमन्नतिए वेयाचडियं कोत्तए, अत्विया इत्य केहयापचको फापहनेण वेयापर्ष करावेलए, मस्थि पाइ इत्य केइ वेयाश्चरे एवं ईकापा अन्नमग्ने पेयापर्य करावेत्तए ९०।२० निमन्च राबो वा चियाले बा दीडपट्टे सोना, इत्थी या पुरिसस्स आमजेमा पुरिसो वाइवीए अआमजेजा, एवं से कप्पा एवं से चिहा, परिहारं च सेन पाउणन, एस कप्पे पेस्कप्पियाणं, एवं से नो कप्पड़,एवं से नो विहार, परिहार चपाडणा, एस कप्पे जिणकप्पियाति मित्र "१४३२१॥ पंचमो उसो ५॥ भिक्खू याइयोजा नायविहि एलए, नो से कप्पाइ धेरै अणापुत्तिा नापविहिं एसए, कप्पड़ से घेरे आपुच्छिता नापविहि एनए, पेय पसे वियरेका एवं सकपा नायविहिं एनए, मेरा य से नो विवरेजा एवं से नो कप्पा नायचिहि एसए, ज तत्व धेरै अविष्णे नायविहिं एश से सन्तरा छैए या परिहारे वा, मो कपल अप्पासुवस्स अप्पागमस्स एगाणियस्त नायविहिं एनए, कप्पा से जे तत्व बास्सए बझागमे तेण सदि नायविहि एलए, तस्य से पुनागमणेणं पुचाउसे चाउलोवणे पच्छाउत्ते मिलिंगसूवे कप्पड़ से चाउलोदने पटिम्गाहेत्तए नो से कपड़ मिलिंगसूचे पतिबाहेत्तए, वत्व पु-यु.मिलिंगसूवे पणा वाटा कणा से मिलिंक पडिनो से कमाइ चाउ पडि०, तत्व से पुमागमणेणं दोषि पुग्नाउत्ताई कप्पड़ से दोवि पहिगाहेत्तए, नत्य से पुष्वा दोषि पण्डा नो से क० दोषि पढि०, जे से तत्व पुना पुगाउले से कप्पा पहिले से तत्य पुण्या पच्छानो से कप्या पहिग्गाहित्तए '७२।१।आयरियठबनायस्स गर्णसि पंच अइसेसा ५००-आपरिषउनझाए अंतो उनसपस पाए निगिज्झिय २ पकोडेमाने वा पमजेमाणे वा नाइकमा आवरियउपमाए अंतो उसस्सयस उचार वा पासवर्ण वा विमिंचमाणे वा चिसोहेमागे या नाकमा, आयरियावज्झाए पम् च्या वेयावडियं करेजा इच्छा नो करेजा, जापरिषउपजमाए अंतो उवस्मयस्स (उपरए) एगरायं वा दुरायं वा यसमाणे नाइकमा आयरियउबझाए बाहिं उपस्सपस्स एगरायं वा दुरायं वा यसमाणे नाइकमाइ ।२। गणारच्छेदयस्सा गं गर्णसि दो अहसेसा पं० सं०-गणावइए अंतो उपस्सयस्स एगरार्थ वा दुरापं वा यसमाणे नाइकमाइ, गणापच्छेदए बाहिं उवायरस एगरायं वा दुरायं वा वसमाणे नो अदबमा २६१।३। से गामंसि वा जाच संनिसंसि चा एगबगहाए एगनुवाराए एगनिक्खमणक्येसाए नो कम्पन बहूर्ण अगडमुयाण एगपओ वत्थाए. अस्थि याद ण् केद आयरपकप्पचरे नस्पि बाइ र केहडेए वा परिहारे ना, नस्थि बाइ ई केदावारपकप्पचरे सोसि सि पत्तिय ए वा परिहाने वा।४।से गामंसि वा जाप संनिवेसंसि वा अभिनितगडाए अमिनिदुबाराए अभिनित्वमणपपेसगाए नो कप्पह बहुर्ण जगढसुवाणं एगयजो पत्याए, अस्थि पाइन्हं के आधारपकप्पधरे जे त यत्तिय समि संवसइ नस्थि या इत्थं के छेए वा परिहारे वा, नस्थि या इत्य केइ जायारपकप्पयो जे तपत्तिय स्यणि संचलन सयेसि सि नापत्तियं छए या परिहारे वा '२९८1५1 से गामंसि वा | जाव संनिससिया अभिनित्रगडाए अभिनितुनाराए अभिनिक्समनपवेसणाए नो कप्पद बहुसुयस्स बझागमस्स एगाणियस्स मिक्स्स बस्थए, किमंग पुण अप्पमयस्स अप्पागमस्स मिक्सुम्स । ६। से गामसि वा जाब संणिकेससि वा एगवगढाए एगदुबाराए अमिनिपलमणपसाए कप्पड बहुस्सुवा बन्माममस एमानिया मिक्सुस्स बत्थर डाओ। कार भिमाचं पदिजागरमागरस'३५७७अजय एए पहले इत्थीओ अपुरिसाज पन्हायन्ति तस्य से समणे निग्गंचे अभयरसि अचित्तसि सोयसि सुकपोग्गले निम्पाएमाणे हत्यकम्मपडिसेवणपने आवजा मासिय परिहारहाणं अगुग्याइयं, निग्याएमाणे मेहुणपढिसेवणपते आषजइ चाउम्मासिषं परिहारद्वाणं अणुग्धाइयं ३६७1८1नो कप्पा निगंधाण वा निगंवीण वा निमाथि अग्णगणाओ आगयं सुयायारं सबलाया मित्राधारं संकिलिङ्कायारचरितं तस्स ठाणस जणाचावेत्ता अपठिकमानेता अनिन्दावेत्ता अगरहाचेना अविउझावेत्ता अक्सिोहावेत्ता अकरणाए अणभुवेता जहारिहं पायच्चिाल तवोकम्मं अपविजायेचा उबवावेनए वा संभुजिसए वा संबसित्तए गतासि इत्तरिय दिसं का अणुदिसंवा उदिसित्तए वा धारेत्तए बा।९।कपा निर्णयाण वा निम्गंधीण वा निम्नधि अनगणाओ आमर्थ सुपाचार तस्स ठाणस आलोपावेला पक्षिमावेत्ता निन्दावेत्ता गरहावेत्ता विउहावेना विसोहावेता अकरणाए अम्भुटावेत्ता अहारिहं पायचित क्योकर्म परिवजावेसा उबढावेत्तए वा धारेनए वा ३८८1१०1नो कप्पा-निरर्थ सुयायाअणालोयावेत्ता उरिसित्तए वा धारेनए बा ।११। कप्पद आलोयावेत्ता उदिस्सित्तए पा चारित्तए वा । १२॥ छडो उसको ६॥ जे निम्गन्धा य निम्मन्धीओ प संमोइया सिया, नो कप्पा निमन्धीण निमान्ये अणापुरिछत्ता निम्गन्धि अचगणात्रो जामय सुवाचारं सबलायार मित्राचार संकिलिदायारचरितं तस्स ताणस अणालोयापित्ता. पायजित अपहिनजामेता पुग्छिनए पा पाएसए ना उबहावेत्तए वा संभुजिचाए वा संकसित्तए पा तीसे इत्तरिय दिसंवा अदिसंवा उरिसितए वा धारेत्तए पा"जे निग्गन्धा य निग्ग न्धीओ य संमोहया सिया, कम्पा निग्गन्धीणं निग्गन्थे आपुष्ठित्ता निम्मान्यि जनगणाओ आगयं खुपापार समलामा भिमाचार संकिलिहायाश्चरित तस्स ठाणम्स आलोयावेत्ता नव्यवहारःमूहको मुनिचरमसागर ActorateyN दीप अनुक्रम [१४७] ARStat अत्र उद्देशक: आरब्ध: ~137
SR No.035027
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 27 Maransamadhi Prakirnak Mool evam Sanskrit Chhaya Nishith Bruhatkalp Vyavahar Dashashrutskandh Mahanishith 5 Chhedsutrani Moolam Jitkalp Moolam evam Bhashyam Panchkalp Bhashyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages330
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_maransamadhi
File Size99 MB
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