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________________ आगम ( ३६ ) प्रत सूत्रांक [२६] दीप अनुक्रम [६१] अत्र उद्देशक: ३ आरब्ध: “व्यवहार” - छेदसूत्र - ३ (मूलं) उद्देश: [२] मूलं [२६] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित आगमसूत्र [३६], छेदसूत्र [३] "व्यवहार" मूलं ---------- ----- - ~ 134~ - समासे सिवा ३५५' । २६। बहने परिहारिया पहले अपरिहारिया इच्छेला एगयओएममार्स वा दुमा वा विमासे वा पठमा वा पंचमाया छम्मा या वत्पए से अन्नम अथम नो जन्ति मार्स, तो पच्छासमे एगो जन्ति '३६४' २७ परिहारकप्पट्ठियस्स मिक्सुस्त नो कप्प असणं वा दावा अणुष्पदा वा रा -इता जो तुमं एएसं देहि या अनुष्पदेहि वा एवं से कप्प दावा अनुप्पदा था, कप्पड़ से ले अनुमानावेत 'अनुजा भन्ते लेवाए एवं से कप्प वेलए '३७२' । २८।] परिहारकम्पडिए भिक्यू सरणं पडिम्म बहिया अपनो वेवाडियार गच्छेशा मेरा व पापडिया मोक्लाममा पाहामि या एवं ई से कम्प पडिग्गा त्यो अपरिहारिएवं परिहारियस्स पडिग्गइंसि असणं वा मोतए वा पाय वा कप्पर से सर्वसि या पडित सति वा पलासति सति वाकमदमंसि सति वा सुम्बति सति या पाणियंसि उदद्ध उदट मोचर का पाया था, एस कप्पे अपरिहारियरस परिहारियाओं । २९ परिहारपट्टि मिलू बेरा पड बहिया राम देवाडियार गच्छेजा, रामादि जो तुमपि पच्छा मोक्ला पाहता एवं से कप्पा पडियारत्न परिहारिणं अपरिहारियरस पग्मिसि असणं या मोरया पायाएका कप्प से सति पढिन्स या सर्वसि पलाससि ना पासा उबद्ध उद्ध ओवा पाया. एस कप्पे परिहारियरस अपरिहारियाजोसि बेमि '३७८ ३० ॥ वो उस २॥ निक्खु इच्छेशा गणं धारेलए, मगच से अपने एवं नो से कम्पग धारेल, भग से पलिच्छि एवं से कप्प गर्म पारेतए ११०१ इच्छेजा वर्ग पारेशर, नो से कप्प मेरे मागणं धारेवर कप्प से येरे पुछा गर्न पाए, पेराव से निला एवं से कप्प पारेर वेराय से नो वियरेगा एवं से मोहरे, जयेहि गर्न परेमा सन्तरा एवा परिहारे सम्म उहाए विहरति नत्थि तेर्सि के ए वा परिहारे वा '११६' २ विवासपरिवार सम निर्माचे आधारसले जमले पण पक्ष सिकुसले संगह कुराले उसले अक्स) यायारे अभायारे असलापारे अकिलिहायारचरिते हुए झागमे जमे आयापकष्पधरे कम्प आयरिसाया उद्दि सिसए । ३। सचेषणं से विवासपरियाए समने निर्माचे नो आया जाय किलिडायारपरिने अन्य अन्यागमे नो कप्प आयरियायत्ताए उरित्तिए ॥४॥ एवं पंचपासपरिवाए सम निर्माये आया जाय अकिलिद्वापारचरिते बहुस्युयेागमे जहन्ने इसाकम्पयमहारथरे कप्पर नारियउवज्झायसाए पति उरित्तिए (५) सचेचसे पचासपरियाए समने निम्यन्ये भो आधारसले अपए अप्पागमे नो कम्प आयरिथउवज्झायत्ताए पर उडिसिन | ६| बहुवासपरियाए समने निम्मन्ये आधारकुसने जाणायधरे कप्प से आयरित्ताए उपात्ताए पत्ताए बेरताए गणित्ताए गणावच्छेदयत्ताए उरित्तिए ७ सचेच नं से अनुपासपरियाए समने निम्न्ये मी आधार नो कम्प परियता जाव णायच्छेत्ताए उरित्तिए १८२८ निरुद्धपरिचाए सम निमान्थे कम्प दिवस आयरियउज्झायनर उरिसिए से किमा १ अस्थि रातारूपाणि कुलाई कठानि पत्नियाणि जानिसासियाणि संमयाणि सम्मुकराणि अणुमयाणि मयाणि भवन्ति तेहि कडेहिं नहिं पतिएहिं हिंसासिएहिं हि संमहिनेह सम्मुइरे से निरुद्धपरियाए सम निमान्धे कप्पा आयरियवायत्ताए उदित्तिएर निरुद्धतियासपरियाए समणे निमन्ये पाया रिपवज्झायत्ताए उरित्तिए समुच्चयसि वस्स णं आधारपकप्परस देसे अपए अहिजिए नवइ सेसे 'अहिजिस्सामिति अहिलेजा एवं से कह आयरिया नए उहिसिए से हिस्सा तिनो अहिजेला एवं सेनो परिवउकलायत्ताए उद्दितिए २१६ । १० । निम्गन्धस्त नमस्तस्स आयरिया भेज्जा, नो से कप्पा अणायरिथउपायस्त होताए, कप्प से पूर्वि आयरियं उदिसावेत्ता तो पच्छा उवज्झायं से किमाडु मंते १. दुसंगहिए सम निम्मं परिणय ११ मन्बीए में नहरनियाए जायरिया पणी व पिज्जा, नो से कप्पड़ जणायरियउवज्झाइयाए अपवत्तिणीयाए होए कप से पुि आपरिष उदिसावेसा ती पच्छाउदा त पच्छा पति से कमाने तिसंगहिया समणी निम्बन्धी [सं०] आयरिर्ण उपाए पत्तीए व '२३५।१२। व गणाओ पम्म मेनचम्मं पढिसेवेला विणि संवरा तर सम्पत्तियं नो कप्प आपरिवत्र्त पा जाय गणावच्छेदना उदिति वाचाल या सीि त्यस संरंसिपट्टियंसि टिपरस उपसन्तस्स उपरवस्त परिविश्यस्स निडिगारस्स एवं से कम्पयरिया जाय गणावच्छेप वा उदिति वा पारेर [व] [२५१' । १३। गणानक्खिविता मे पडिलेवेजा जारजीचाए तरस सम्पत्तिये नो कम्प जायस्थितं वा जाय गनापच्छेउरि या पारे ।१४च्छे गणाच्छे निक्खिविता मेहुणधम्मं पडिवेजा तिमिराणि गणावच्छेयसं परित्ताए मा १५ एवं आरिए उपाए (२४३) ९७२ व्यवहारः देखै-र मुनि दीपरत्नसागर ➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖ Ateyser
SR No.035027
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 27 Maransamadhi Prakirnak Mool evam Sanskrit Chhaya Nishith Bruhatkalp Vyavahar Dashashrutskandh Mahanishith 5 Chhedsutrani Moolam Jitkalp Moolam evam Bhashyam Panchkalp Bhashyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages330
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_maransamadhi
File Size99 MB
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