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नमो नमो निम्मलदसणस्स पूज्य आनंद-क्षमा-ललित-सुशील-सुधर्मसागर-गुरुभ्यो नमः .
(भाग
सवृत्तिक-आगम-सुत्ताणि
आगम १९-३२ १९.निरयावलिका,२०.कल्पवतंसिका,२१.पुष्पिका,२२.पुष्पचूलिका,२३.वृष्णिदशा मूलं एवं चंद्रसूरिजी विरचिता वृत्तिः २४.चतुःशरण,२५.आतुरप्रत्याख्यान,२६.महाप्रत्याख्यान,२७.भक्तपरिज्ञा,२८.तंदुलवैचारिक,२९.संस्तारक,
३०.गच्छाचार, ३१.गणिविज्जा,३२.देवेंद्रस्तव- मूलं एवं छाया।
मूल संशोधक :- पूज्यपाद आगमोद्धारक आचार्यश्री आनंदसागरसूरीश्वरजी महाराजसाहेब
अभिनव-संकलनकर्ता :- आगम दिवाकर मुनिश्री दीपरत्नसागरजी [M.Com., M.Ed., Ph.D., श्रुतमहर्षि
पूज्य शासनप्रभावक आचार्यश्री हर्षसागरसूरिजी की प्रेरणा से
''वर्धमान जैन आगम मंदिर संस्था' पालिताणा