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________________ आगम (१८) “जम्बूद्वीप-प्रज्ञप्ति" - उपांगसूत्र-७ (मूलं+वृत्ति:) वक्षस्कार [२], ------------------------ -------- मूलं [२९] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[१८]उपांगसूत्र-[७] "जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति" मूलं एवं शांतिचन्द्र विहिता वृत्ति: प्रत सूत्रांक Secesected [२९] भासणा उ पढमा मंडलिबंधमि होइ पीआ य । चारगछविछेआई मरहस्स चउबिहा नौई ॥१॥" [परिभाषणा तु प्रथमा मण्डलबन्धे भवति द्वितीया च । चारक छविच्छेदादि भरतस्य चतुर्विधानीतिः॥१॥] इति वचनात् , ऋषभ-18 काळे इत्वन्ये, अथ पञ्चदशे कुलकरे कुलकरत्वमात्रं चतुर्दशसाधारणमित्यसाधारणपुण्यप्रकृत्युदयजन्मत्रिजगजनपूज-18 नीयतां प्रचिकटयिषुर्यथाऽस्मादेव लोके विशिष्टधर्माधर्मसंज्ञाव्यवहाराः प्रावर्तन्त इत्याह णानिस्स णं कुलगरस्स मरुदेवाए भारिआए कुञ्छिसि एत्थ गं उसहे पाम अरहा कोसलिए पढमरावा पढमजिणे पढमकेवली पढमतित्थकरे पदमधम्मवरचकवट्ठी समुप्पजित्थे, तए णं उसमे अरहा कोसलिए वीस पुचसयसहस्साई कुमारवासमझे वसई वसइत्ता तेवहि पुषसयसहस्साई महारायवासमझे वसइ, तेवहि पुबसयसहस्साई महाराववासमको वसमाणे लेहाइआओ गणिअप्पहाणाओ सउणरुअपज्जवसाणाओ बावत्तरि कलामो चोसहि महिलागुणे सिप्पसवं च कम्माण तिणिवि पवाहिआए उबदिसइत्ति, उवदिसित्ता पुत्तसर्य रजसए अमिसिंचइ, अमिर्सिचित्ता तेसीई पुत्वसयसहस्साई महारायवासमो बसह, पसित्ता जे से गिम्हाणं पढमे मासे पढमे पक्खे चित्तबहुले तस्स में चिचबहुलस्स णवमीपक्खेणं दिवसस्स पच्छिमे भागे चहत्ता हिरणं बदत्ता सुवणं चइता कोर्स कोडागार चहत्ता बलं चइत्ता वाहणं चइसा पुरं चइत्ता अंतेउर चइता विठलधणकणगरयणमणिमोतिअसंखसिलप्पकालरतरयणसंतसारसावइज विच्छङ्कयित्ता विगोवइत्ता दायं दाइआणं परिभाएत्ता सुदंसणाए सीआए सदेवमणुआसुराए परिसाए समणुगम्ममाणमग्गे संखिदचकिणंगलिअमुहमंगलिअपूसमाणववद्धमाणगाइक्खगलंखमंखघंटिअगणेहिं अनुक्रम [४२] jimmitraryay अथ कला-आदि एवं ऋषभस्य दीक्षा वर्ण्यते ~281
SR No.035023
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 23 Jambudwippragyapti Mool evam Vrutti Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages376
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jambudwipapragnapti
File Size92 MB
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