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________________ आगम (१७) चन्द्रप्रज्ञप्ति" - उपांगसूत्र-५ (मूलं+वृत्ति:) प्राभृत [१०], -------------------- प्राभृतप्राभृत [४], -------------------- मूलं [३६] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: सूर्यप्रज्ञप्ति आधारेण मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[१७],उपांगसूत्र-[६] "चन्द्रप्रज्ञप्ति मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीता वृत्ति: HE प्रत सूत्रांक * [३६] * AS प्रागुक्तयुक्तिवशादुभयभागमवगन्तव्यं, तथा चाह-'विसाहा जहा उत्सरंभदयया' यथा उत्तरभद्रपदा तथा विशाखा वक्तव्या, तद्यथा-'ता विसाहा खलु नक्खत्ते उभयंभागे दिवङखिते पणयालीसमुहत्ते तपढमयाए पातो चंदेण सद्धिं जोयं * जोएइ अवरं च राई, तओ पच्छा अवरं दिवसं, एवं खलु विसाहानक्खत्ते दो दिवसं एगं च राई चंदेणं सद्धिं जोग जोएइ, जोगं जोइत्ता जोगं अणुपरियडेइ जोगं अणुपरियट्टित्ता सायं चंदं अणुराहाए समप्पेई', तत एवमनुराधानक्षत्रं सायंसमये-दिवसावसानरूपे चन्द्रेण सह योगमुपैतीति पश्चाद्भागमवसेयं, तथा चाह-'अणुराहा जहा धणिवा' यथा धनिष्ठा तथाऽनुराधा वक्तव्या, सा चैवम्-'अणुराधा खलु नक्खत्ते पच्छंभागे समक्खेत्ते तीसइ हुत्ते तप्पढमयाए सायं चंदेण सद्धिं जोयं जोएति, तओ पच्छा अवरं दिवस, एवं खलु अणुराहा नक्खत्ते एगं राई एगं च दिवसं चंदेण सद्धिं जोगं जोएइ जोइत्ता'जोगं अणुपरियट्टेइ जोगं अणुपरियट्टित्ता सायं चंदं जिहाए समप्पेई' ज्येष्ठायाश्च सार्यसमये समर्पयति, प्रायः परिस्फुटं दृश्यमाने नक्षत्रमण्डले, तत इदं ज्येष्ठानक्षत्रं नक्तंभागमवसेयं, तथा चाह-'जिट्ठा जहा सयभिसया'. यथा शतभिषक् तथा ज्येष्ठा वक्तव्या, तद्यथा-'ता जेट्ठा खलु नक्खत्ते नत्तंभागे अबहुखेत्ते पन्नरसमुहुत्ते तप्पढमयाए सायं चंदेण सद्धिं जो जोएइ, नो लभइ अवर दिवस, एवं खलु जिद्वानक्खत्ते एगं राई चंदेण सद्धिं जोगं जोएइ, जोग जोइता जोगं अणुपरियट्टेइ, जोगं अणुपरियहित्ता पातो चंदं मूलस्स समप्पेई' मूलनक्षत्रं चेदमुक्तलयुक्त्या प्रातश्चन्द्रेण सह योगमुपागच्छत् पूर्वभागमबसेयं, तथा चाह–'मूलो जहा पुषभहवया' यथा पूर्वभद्रपदा तथा |मूलनक्षत्रमभिधातव्यं, तश्चैवम्-ता मूले खलु नक्खत्ते पुचंभागे समक्खित्ते तीसइमुहुत्ते तप्पढमयाए पातो चंदेण सद्धि *5*5 अनुक्रम [५०] ~232~
SR No.035022
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 22 Chandrapragyapti Mool evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages614
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_chandrapragnapti
File Size133 MB
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