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________________ आगम (१५) “प्रज्ञापना” – उपांगसूत्र-४ (मूलं+वृत्ति:) पदं [१७], -------------- उद्देशक: [६], ------------- दारं - -------------- मूलं [२३१-R] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[१५]उपांगसूत्र-[४] "प्रज्ञापना" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीता वृत्ति: प्रत सूत्रांक [२३१R] दीप अनुक्रम [४७०] मणुस्सीणवि, अकम्मभूमयमणुस्साणं पुच्छा, गो! चचारि लेसाओ पं०,०-कण्हा जाव तेउ०, एवं अकम्मभूमिगमणुस्सीणवि, एवं अंतरदीवमणुस्साणं मणुस्सीणवि, एवं हेमवयएरनवयअकम्मभूमयमणुस्साणं मणस्सीण य कह लेसाओ पं०, गो! चत्तारि, तं०-कण्हा जाव तेउ०, हरिवासरम्मयअकम्मयभूमयमणुस्साणं मणुस्सीण य पुच्छा, गो.! चत्वारि, तं०-कण्हा जाव तेउ०, देवकुरुउत्तरकुरुकम्मभूमयमणुस्सा एवं चेव, एतेसिं चेव मणुस्सीणं एवं चेव, धायइसंडपुरिमद्धेवि एवं चेच, पच्छिमद्धेवि, एवं पुक्खरदीवेवि भाणिया । कण्हलेसे ण भंते ! मणुस्से कण्हलेसं गम्भ जणेजा, इंता गो! जाणेजा, कहले० मणुस्से नीलले० गम्भं जणेज्जा', हंता गो! जाणेजा, जाव सुकलेसं गम्भ जणेजा, नीलले. मणुस्से कण्हले० गम्भं जाणेजा, हंता गो! जाणेजा, एवं नील• मणुस्से जाव सुकले० गम्भं जणेजा, एवं काउलेसेणं छप्पि आलाचगा भाणियवा, तेउलेसाणवि पम्हलेसाणवि सुकले०, एवं छत्तीसं आलावगा भा०1 कण्ह. इत्थिया कण्ह० गन्भं जणेजा, हंता गोयमा! जणेज्जा, एवं एतेवि छत्तीसं आलावगा माणि । कण्हले० भंते! मणुस्से कण्हलेसाए इत्थियातो कण्हले० गम्भं जणेज्जा हंता गोयमा! जणेज्जा, एवं एते छत्तीस आलावगा, कम्मभूमगकण्हलेसे मं भंते ! मणुस्से कण्ह. इत्थियाए कण्हले० गम्भ जणेज्जा', हंता गोयमा! जणेजा, एवं एते छत्तीस०, अकम्मभूमयकण्ह० मणु० अ० कण्ह० इस्थियार अकम्मभूमयकण्हलेस गम्भ जणेज्जा', हेता गोयमा ! जणेज्जा, नवरं चउस लेसास, सोलस आलावगा, एवं अंतरदीवगाणवि । (त्रं २३१)। इति पनवणाए भगवईए लेस्सापदं समत्तं ।। सचरसं पर्व च समचं ॥ eBatistseeestomoseetsClot मूल-संपादने अत्र सूत्र-क्रमांकने मुद्रण-दोषात् (सूत्रं २३१) इति २३१' क्रम द्विवारान् मुद्रितं ~349~
SR No.035019
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 19 Pragyapana Mool evam Vrutti Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages514
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size109 MB
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