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आगम
“प्रज्ञापना” – उपांगसूत्र-४ (मूलं+वृत्ति पदं [१५], -------------- उद्देशक: [२], ------------- दारं [-], -------------- मूलं [१९९] + गाथा: पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[१५]उपांगसूत्र-[४] "प्रज्ञापना" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीता वृत्ति:
प्रत सूत्रांक
[१९९]
गाथा:
तं०-सोतिंदियलद्धी जाब फासिदियलद्धी, एवं नेरइयाणं जाव वेमाणियाणं, णवरं जस्स जब इंदिया अस्थि तस्स तावड्या भाणियबा ४ । कतिविहाणं भंते ! इंदियउवओगद्धा पं०१, गो०! पंचविहा इंदियउवओगद्धा पं०, तं०-सोर्तिदियउवओगद्धा जाब फासिदियउवभोगद्धा, एवं नेरइयाणं जान बेमाणियाणं, णवरं जस्स जइ इंदिया अस्थि । एतेसि गं भंते! सोत दियचक्खिदियघाणिदियजिभिदियफासिंदियाणं जहण्णयाए उवओगद्धाए उक्कोसियाए उवओगद्धाए जहबुकोसियाए उवओगद्वाए कयरेशहितो अप्पा वा०४१, गो०! सबथोवा चक्खिदियस्स जहणिया उवोगद्धा सोतिंदियस्स जहणिया उवोगद्धा विसेसाहिया पाणिदियस्स जहणिया उबोगद्धा विसे० जिम्भिदियस्स जहणिया उपओगद्धा विसे० फासिदियस्स जहणिया उवओगद्धा विसे० उक्कोसियाए उवओगद्धाए सबत्थोवा चक्खिदियस्स उकोसिया उवओगद्धा सोर्तिदियस्स उकोसिया उवओगद्धा विसे० घाणिदियस्स उको० उव०विसे जिम्भिदियस्स उको उव विसे. फासिदियस्स उको उब विसे० जहण्णाउकोसियाए उबोगद्धाए सवत्थोवा चक्खिदियस्स जहणिया उवोगद्धा सोर्तिदियस्स जहण्णिया उवओगद्धा विसेसाहिया घाणिदियस्स जह० उव. विसे• जिभिदियस्स ज०उव०वि० फासिदियस्स जह० उप० वि० फासिंदियस्स जहणियाहिंतो उवओगद्धाहिंतो चक्खिदियस्स उक्कोसिया उवओगद्धा विसे० सोतिदियस्स उको० उव०वि० पाणिदियस्स उको उव० वि० जिभिदियस्स उक्को० उव. विसे० फासिंदियस्स उकोसिया उव० विसे०५। कतिविहा णं भंते ! इंदियओगाहणा पं०१, गो! पंचविहा इंदियओगाहणा पं०, तं०- सोतिदियोगाहणा जाव फासिदियोगाहणा, एवं नेरहयाणं जाब वेमाणियाणं, नवरं जस्स जइ इंदिया अस्थि ६ (सूत्रं १९९)
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9002000-20209393920
दीप अनुक्रम [४३३-४३५]]
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