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आगम
(१५)
[भाग-१८] “प्रज्ञापना" -
पदं [५], --------------- उद्देशकः -1, -------------- दारं , -------------- मूलं [१०४] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[१५]उपांगसूत्र-[४] "प्रज्ञापना" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीता वृत्ति:
प्रत सूत्रांक [१०४]
नेरइयाणं भंते ! केवइया पजवा पनत्ता, गोयमा! अणंता पजवा पन्नता, से केणद्वेणं भंते ! एवं बुच्चइ–नेरइयाणं अणंता पजवा पन्नत्ता, गोयमा ! नेरइए नेरइयस्स दबयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले ओगाहणट्ठयाए सिय हीणे सिय तल्ले सिय अन्भहिए जइहीणे असंखिजहभागहीणे वा संखिज्जइमागहीणे वा संखिजगुणहीणे वा असंखिजगुणहीणे वा अह अन्महिए असंखिजहभागममहिए वा संखिजइभागमभहिए वा संखिजगुणमब्भहिए वाअसंखिजगुणमन्महिए वा, ठिईए सिय हीणे सिय तुल्ले सिय अब्भहिए जइ हीणे असंखिजइभागहीणे वा संखिज्जइभागहीणे वा संखिजगुणहीणे वा असंखिजगुणहीणे वा अह अब्भहिए असंखिजभागमभहिए वा संखिजभागमभहिए वा संखिजगुणमभहिए वा असंखिजगुणमभहिए वा, कालवण्णपञ्जवेहि सिय हीणे सिय तुल्ले सिय अम्भहिए, जब होणे अणंतभागहीणे वा असंखेजभागहीणे संखेजभागहीणे वा संखेजगुणहीण वा असंखेजगुणहीणं वा अर्णतगुणहीण वा अह अन्महिए अर्णतभागमभहिए वा असं. खेजभागमभहिए वा संखेजभागमम्भहिए वा संखेजगुणमभहिए वा असंखेजगुणमभहिए वा अणंतगुणमभहिए वा, नीलवनपनवेहिं लोहियवनपजवेहि पीयवनपज्जवेहिं हालिद्दवनपञ्जवेहिं सुकिल्लवनपज्जवेहिं छहाणवडिए, सुम्भिगंधपजवेहि दुब्भिगंधपज्जवेहि य छट्ठाणबडिए, तित्तरसपज्जवेहि कडुयरसपञ्जबेहिं कसायरसपज्जवेहिं अंबिलरसपज्जवेहिं महुररसपञ्जवेहि छट्टाणवडिए, कक्खडफासपजवेहिं मउयफासपज्जवेहि गरुयफासपञ्जवेहि लहुयफासपज्जवेहिं सीयफासपज्जवेहिं उसिणफासपजवेहिं निफासपजवेहि लुक्खफासपञ्जवेहिं छवाणवडिए, आभिणियोहियनाणपजवेहिं सुयनाणपञ्जवेहिं ओहिनाणपअवेहि महअन्नाणपज्जवेहिं सुयअन्नाणपञ्जवेहिं विभंगनाणपञ्जवेहिं चक्खुदसणपजवेहिं अचक्खुदंसणपञ्जवेहि ओहिंदसणपज
दीप अनुक्रम [३०८]
Coसवस
20932
नैरयिकस्य पर्याय:
~371