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आगम
(१५)
[भाग-१८] “प्रज्ञापना” – उपांगसूत्र-४ (मूलं+वृत्ति:)
पदं [३], --------------- उद्देशक: [-], -------------- दारं [२७], -------------- मूलं [९१] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[१५]उपांगसूत्र-[४] "प्रज्ञापना" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीता वृत्ति:
प्रत
सुनाक
[९१]
दीप
श्रितानां तैजसकार्मणपुद्गलस्कन्धद्रव्याणां च भूयसां भावात् ॥ सम्प्रति परमाणुपुद्गलानां सोयप्रदेशानामसङ्ग्येयप्रदेशानामनन्तप्रदेशानां परस्परमल्पबहुत्वमाह
एएसि णं भंते ! परमाणुपोग्गलाण संखेजपएसियाणं असंखेअपएसियाणं अणंतपएसियाण य खंधाण दवट्टयाए पएसवयाए दबट्टपएसट्टयाए कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया या तुल्ला वा विसेसाहिया वा', गोयमा! सबथोवा अणंतपएसिया खंधा दबयाए परमाणुपोग्गला दबट्टयाए अर्णतगुणा संखेजपएसिया खंधा दवट्टयाए संखेजगुणा असंखपएसिया खंधा दवट्ठयाए असंखेजगुणा पएसड्याए सवत्थोवा अणंतपएसिया खंधा पएसट्टयाए परमाणुपोग्गला अपएसड्याए अणंतगुणा संखेज्जपएसिया खंधा पएसट्टयाए संखेज्जगुणा असंखपएसिया खंधा पएसट्टयाए असंखेजगुणा दवद्वपएसट्टयाए सबथोवा अणंतपएसिया खंधा दबयाएते चेव पएसट्टयाए अपंतगुणा परमाणुपोग्गला दबढपएसट्टयाए अणंतगुणा संखेजपएसिया खंधा दबट्ठयाए संखेजगुणा ते चेव पएसट्टयाए संखेज्जगुणा असंखपएसिया खंधा दबट्टयाए असंखेजगुणा ते चेव पएसट्टयाए असंखेजगुणा ॥ एएसिणं भंते! एगपएसोगाढाणं संखेजपएसोगाढाणं असंखेजपएसोगाढाण य पोग्गलाणं दबयाए पएसट्ठयाए दबटुपएसट्टयाए कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा, गोयमा ! सवत्थोवा एगपएसोगाढा पोग्गला दबट्टयाए संखेजपएसोगाढा पोग्गला दबट्टयाए संखेज्जगुणा असंखेजपएसोगाढा पोग्गला दबट्टयाए असंखेज्जगुणा पएसट्टयाए सवत्थोवा एगपएसोगाढा पोग्गला
अनुक्रम [२९५]
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