________________
आगम
(१५)
[भाग-१८] “प्रज्ञापना” – उपांगसूत्र-४ (मूलं+वृत्ति:)
पदं [३], --------------- उद्देशक: -,--------------दारं [४], -------------- मूलं [६०] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[१५]उपांगसूत्र-[४] "प्रज्ञापना" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीता वृत्ति:
प्रत
प्रज्ञापनाया: मलयवृत्ती.
३ अल्प| बहुत्वपदे सूक्ष्मबादराल्पव० सू.६०
सूत्रांक
॥१२४||
दीप अनुक्रम [२६४]
सुहुमतेउका० पज्जत्न सुहुमबाउका पज्जनगाणं सुहुमवणस्सइका.पज्जत्त० सुहुमानेगोदपज्जत्तगाण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा ४१, गोयमा ! सबथोवा मुहुमतेउका० पज्जत्तगा सुहुमपुढविका० पज्जत्तगा विसेसा० सुहुमआउका० पज्जतगा विसेसा सुहुमवाउका० पजत विसेसा० मुहुमनिगोया पज्जत्तगा असंखेजगुणा सुहुमवण० पज्जत अपंत. मुहुमपज्जत्त विसेसा । एएसिणं भंते ! सुहुभाणं पज्जत्तापज्जत्तगाणं कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा ४१, गोयमा ! सबथोवा सुहुमअपज्जत्नगा सुहुमपज्जत्तगा संखे०। एएसि णं भंते ! सुहुमपुढवि० पजचापजत्ताणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा ४१, गोयमा ! सबथोवा मुहुमपुढ विकाइया अपज्जत्तया सुहुमपुट विकाइया पज्जत्तया संखेज्जगुणा। एएसिणं भंते ! सुहुमाउ० पज्जत्तापज्जत्तगाणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा ४१, गोयमा। सबस्थोवा मुहुमआउका० अपज्जत्न सुहुमाआउका पजत्तमा संखेजगुणा । एएसिणं भवे! सुहुमतेउ० पजचापजत्ताणं कबरे कयरेहितो अप्यावा ४१, गोयमा। सबथोवा सुहुमतेउका० अपज्जत्त० सुहुमतेउका० पज्जता संखे । एएसि गं भंते ! सुहुमवाउका पजतापज्जताणं कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा ४१, गोयमा सबथोवा सुहुमवाउका० अपजत्त० पाउका पज्जत्त० संखेज० । एएसि णं भंते ! सुहुमवण पज्जत्तापज्जत्ताणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा ४१, गोयमा! सबथोवा सुहुमवण. अपज सुहुमवणस्सइपज्जत्त० संखे । एएसिणं भंते ! सुहुमनिगोयाणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा ४१, गोयमा ! सव्वत्थोवा सुहुमनिगोया अपज्जत० सुहुमनिगोया पज्जत्त० संखेज्जगुणा । एएसि णं भंते ! सुहुमाणं सुहुमपुढ० सुहुमआउ० सुहुमतेउ० मुहुमवाउ० सुहुमवण सुडुमनिगोदाण य पञ्जत्तापजत्ताणं कबरे कयरेहितो अप्पा वा ४१, गोयमा !
ecemsecex
॥१२४॥
~260