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आगम
(१५)
प्रत
सूत्रांक [४६ ]
गाथा
दीप
अनुक्रम
[२०३
-२०४]
[भाग-१८] “प्रज्ञापना” – उपांगसूत्र- ४ (मूलं+वृत्तिः)
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पदं [२], ------------- उद्देशक: [ - ], दारं [-], • मूलं [ ४६...] + गाथा (१२९) पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधितः मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.. आगमसूत्र - [१५],उपांगसूत्र-[४] "प्रज्ञापना" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीता वृत्तिः
प्र.१५
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विलगंभीरखातफलिहा पागारडालयकवाडतोरणपडिदुवारदेसभागा जंतसयग्धिम्नुसंढिपरियारिया अउज्झा सदाजया सदागुता अडयालकोहगरइया अडयालकयवणमाला खेमा सिवा किंकरामरदंडोवरक्खिया लाउलोइयमहिया गोसीससरसरत्तचंदणददरदिन्नपंचंगुलितला उवचियचंदणकलसा चंदणघडसुकयतोरणपडिदुबारदेस भागा आसत्तोसच विउलबबग्वारियमल्लदामकलावा पंचवन्न सरससुरभिमुकपुष्कपुंजोवयारकलिया ( ग्रंथाग्रं १००० ) कालागुरुपवरकुंदुरुक्कतुरुकधूवम
गंधुद्धयाभिरामा सुगंधवरगंधिया गंधवट्टिभूया अच्छरगणसंघसंविभिन्ना विडियसपणातिया सहरयणामया अच्छा सहा लहा घट्टा मट्ठा णीरया निम्मला निष्का निकंकडच्छाया सप्पदा ससिरिया समिरिया सउज्जोया पासादीया दरिसणिज्जा अभिरुवा पडिरुवा, एत्थ णं भवणवासिदेवाणं पजताप ताणं ठाणा पं०, उचवाएणं लोयस्स असंखेअभागे, समुग्धाएणं लोयस्स असंखेजइभागे, सट्टाणेणं लोयस्स असंखेजड़भागे, तत्थ णं बहवे भवणवासी देवा परिवसंति, तं० असुरा नाग सुवन्ना विज्जू अग्गी य दीव उदही य। दिसिपवणथणियनामा दसहा एए भवणवासी ।। १२९ ।। चूडामणिमउडरयेण भूसणणा गफ डंगरु लेबइ रेपुन्न कलर्स के उप्फेसा सीहमगरंगयंकअस्सेवर वर्द्धमाणनिज्जुन चित्तविधगता सुरूवा महट्टिया महज्जुआ महम्बला महायसा महाणुभावा महासोक्खा हारविराइअवच्छा कडगतुडियर्थभिभुआ अंगदकुंडलम गंडतलक अपीढधारी विचित्तहत्था भरणा विचित्तमालामउलिमउडा कलाणगपवरवत्थपरिहिया कलानगपवरमलावणधरा भासुरबोंदिपलंबवणमालधरा दिवेणं वत्रेणं दिवेणं गंधेणं दिवेणं फासेणं दिवेणं संघयणेणं दिवेणं संठाणेणं दिवाए इडीए दिखाए जुईए दिवाए पभाए दिवाए छायाए दिवाए अचीए दिवेणं तेएणं दिवाए लेसाए दस दिसाओ
For Pale On
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