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________________ आगम (१५) प्रत सूत्रांक [३८] दीप अनुक्रम [१९१] [भाग-१८] “प्रज्ञापना” – उपांगसूत्र- ४ (मूलं+वृत्तिः) दारं [-], मूलं [३८] पदं [१], -----------उद्देशक: [ - ], ----------- पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधितः मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र [१५],उपांगसूत्र-[४] "प्रज्ञापना" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीता वृत्तिः E से किं तं देवा १, देवा चउबिदा प० ० – भवणवासी वाणमंतरा जोइसिआ वेमाणिआ से किं तं भवणवासी १, भवणवासी दसविदा प०, ० असुरकुमारा नागकुमारा सुवनकुमारा विज्जुकुमारा अग्गिकुमारा दीवकुमारा उदहिकुमारा दिसाकुमारा वाउकुमारा धणियकुमारा, ते समासओ दुबिहा प०, तं० पजत्तगा य अपअत्तगा य, सेतं भवणवासी । से किं तं वाणमंतरा?, वाणमंतरा अडविहा प०, ०- किन्नरा किंरिसा महोरगा गंधवा जक्खा रक्खसा भूया पिसाचा, ते समासओ दुविधा प०, तं०-यजत्तगा य अपजत्तया य, सेत्तं वाणमन्तरा । से किं तं जोइसिया १, जोइसिया पंचबिहा प०, तं०-चंदा खुरा गहा नक्खत्ता तारा, ते समासओ दुविधा प०, ० - पजचगा य अपजत्तगाय, सेतं जोइसिया ॥ से किं तं वैमाणिया, वेमाणिआ दुविहा प०, तं० - कप्पोवगा य कप्पाईया य, से किं तं कप्पोवगा ?, कप्पोवगा बारसविहा प०, ० - सोहम्मा ईसाणा सणकुमारा माहिंदा बंगलोया लंतया महासुका सहस्सारा आणया पाणया आरणा अया, ते समासओ दुबिहा प०, सं०-पजचगा य अपअत्तगा य, से तं कप्पोवगा। से किं तं कप्पाईया १, कप्पाईया दुविहा प०, सं० गेविजगा य अणुत्तरोववाइया य, से किं तं गेविजगा १, गेविअगा नवविद्या प० सं०- हिडिमहिहिमविजगा हिडिममज्झिमगेविजगा हिडिमउवरिमगेविजगा मज्झिमोहिमगेविजगा मज्झिममज्झिमगेविअगा मझि मउवरिमगेविअगा उबरिमहेहिमगेविजगा उवरिममज्झिमगेविजगा उवरिमउवरिममेविजगा, ते समासओ दुविधा प०, ० --पजतगा य अपअचगा य, सेतं गेविजगा । से किं तं अनुचरोववाहया १, अणुत्तरोबवाइया पंचविहा प०, ० विजया वेजयन्ता जयन्ता अपराजिता सबइसिद्धा, ते समासओ दुबिहा प० नं० - जगा व अपखचया य, सेचं For Parts Only अत्र पञ्चइन्द्रिय-जीवस्य प्रज्ञापना मध्ये देवयोनिक जीवस्य प्रज्ञापना आरभ्यते ~ 149~ rary org
SR No.035018
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 18 Pragyapana Mool evam Vrutti Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages426
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size93 MB
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