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आगम
(१५)
[भाग-१८] “प्रज्ञापना” – उपांगसूत्र-४ (मूलं+वृत्ति:)
पदं [१], ---------------उद्देशक: -,------------- दारं -1, -------------- मूलं [...३७] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[१५]उपांगसूत्र-[४] "प्रज्ञापना" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीता वृत्ति:
१ प्रज्ञाप
प्रत
प्रज्ञापनायाः मलयावृत्ती.
सूत्राक [३७]
३०
दीप
सायवीयरायचरिचारिया य अजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरिचारिया य । से किं तं सजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया, सजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया दुबिहा प०, तं-पढमसमयसजोगिकेवलिखीणकसायधीयरायचरिचारिया य अपढमसमयसजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरिचारिया य, अहवा चरिमसमयसजोगिकेव- कर्मालिखीणकसायवीयरायचरिचारिया य अचरिमसमयसजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरिचारिया य, सेत्तं सजोगिकेवलि
नायेंजाखीणकसायपीयरायचरिचारिया । से किं तं अजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरितारिया, अजोगिकेवलिखीणकसाय
त्याद्यायवीयरायचरिचारिया दुविहा प०,०-पढमसमयअजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरित्नारिया य अपढमसमयअजोगि
मनुष्यसूत्र केवलिखीणकसायवीयरायचरिचारिया य, अहवा चरिमसमयअजोगिकेबलिखीणकसायवीयरायचरिचारिया य अचरिमसमयअजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरिचारिया य, सेत्तं अजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरितारिया, से केवलिखी. णकसायवीयरायचरित्तारिया, सेनं खीणकसायवीयरायचरित्नारिया सेत्तं वीयरायचरित्नारिया । अहवा चरित्तारियापंचविहा प०,०-सामाइअचरित्तारिया छेदोवडावणीयचरित्तारिया परिहारविसुद्धिचरिचारिया मुहुमसंपरायचरित्तारिया अहक्खायचरिचारिया य । से कितं सामाइयचरित्तारिया, सामाइयचरित्तारिया दुविहा प०,०-इत्तरियसामाइयचरिचारिया य आवकहियसामाइयचरिचारिया य, सेत्तं सामाइयचरिचारिया । से किं तं छेदोवद्वावणियचरिचारिया , छेदोवढावणियचरित्तारिया दुविहा प०,०-साइयारछेदोवडावणियचरिचारिया य निरइयारछेदोवहावणियचरिचारिया य, सेतं छेदोवद्यावणियचरित्तारिया । से किं तं परिहारविमुद्धियचरित्तारिया, परिहारविसुद्धियचरिचारिया 18
अनुक्रम [१९०]
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