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आगम
(१५)
[भाग-१८] “प्रज्ञापना” – उपांगसूत्र-४ (मूलं+वृत्ति:) पदं [१], ------------ उद्देशक: [-], ---------- दारं [-], ----------- मूलं [...३७] + गाथा:(१०८-१२८) पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[१५]उपांगसूत्र-[४] "प्रज्ञापना" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीता वृत्ति:
प्रत
|१प्रज्ञापनापदे क
सत्राक
२० वृत्ती.
[३७]]
मौकर्मानार्यजा
त्याचार्य
मनुष्यसूत्र
गाथा:
प्रज्ञापना-18| शून्यतापत्तिः। एतेऽष्टी दर्शनाचाराः॥ तदेवमुक्ताः सरागदर्शनभेदाः, तदभिधानाचाभिहिताः सरागदर्शनार्यभेदाः ॥ या: मल-1
सम्प्रति वीतरागदर्शनार्यादिभेदानाह-(से किं तमित्यादि, तदेवं दर्शनार्यभेदानुक्त्वा चारित्रार्यभेदानाह-)
से किं तं चरिचा[य]रिया ?, चरिचारिया दुविहा प०, तं०-सरागचरिचारिया य वीयरागचरिचारिया य, से कि ॥६१॥
तं सरागचरिचारिया ?, सरागचरित्तारिया दुविहा प०,०-सुहुमसंपरायसरागचरिचारिया य बायरसंपरायसरागचरित्तारिया य । से किं तं मुहमसंपरायसरागचरिचारिया , सुहुमसंपरायसरागचरित्तारिया दुविहा प०,०-पढमसम. यमुहुमसंपरायसरागचरिचारिया य अपढमसमयसुहमसंपरायसरागचरित्तारिया य, अहवा चरिमसमयमुहुमसंपरायसरागचरित्तारिया य अचरिमसमयसुहुमसंपरायसरागचरिचारिया य, अहवा मुहुमसंपरायसरागचरिचारिया दुविहा पर, तं०-संकिलिस्समाणा य विसुज्झमाणा य, सेत्तं सुहुमसंपरायसरागचरित्तारिया । से किं तं पादरसंपरायसरागचरिचारिया , बादरसंपरायसरागचरित्तारिया दुविहा प०,०-पढमसमयबादरसंपरायसरागचरित्तारिया अपढमसमयबादरसंपरायसरागचरित्तारिया य, अहवा चरिमसमयबादरसंपरायसरागचरित्तारिया य अचरिमसमयबादरसंपरायसरागचरिचारिया य, अहवा बादरसंपरायसरामचरित्तारिया दुविहा प०, तं--पडिवाई य अपडिवाई य, सेर्त बादरसंपरायसरागचरित्तारिया, सेतं सरागचरित्तारिया । से किंत वीयरायचरित्तारिया?, वीयरायचरित्तारिया दुविहा प०, तं०-उवसंतकसायवीयरायचरिचारिया य खीणकसायवीयरायचरित्तारिया य । से किं तं उवसंतकसायवीयरायचरित्तारिया, उवसंतकसायवीयरायचरित्तारिया दुविहा प०,०-पढमसमयउवसंतकसायपीयरायचरिचारिया य अपढमसम
Resettesee sekesekese
दीप अनुक्रम [१६६-१९०]
॥६१
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