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मूलाका: ३४९ + २३१
प्रज्ञापना (उपांग) सूत्रस्य विषयानुक्रम - १
दीप-अनुक्रमा: ६२२
पृष्ठाक:
३५३
२५०
२९७
४०५
मूलाक: विषय: पृष्ठाक: मूलाक:
विषय: पृष्ठांक: मूलांक:
विषय: ००१ | पद ०१- प्रज्ञापना
०१३ | पद ०३- बहवक्तव्यता (वर्तते)
| पद ०७-उच्छवास: १९२ | पद ०२- स्थानं
१५४ --दवार २०- संजी
२८८
३५४ | पद ०८- संज्ञा २५७ | पद ०३- बहुवक्तव्यता
२३८
--द्वार २१- भवसिद्धिक: २८८ ३५६ | पद ०९- योनि: --द्वार ०१- दिशा
२३९ -द्वार २२- अस्तिकाय: २९१
३६१ पद १०- चरिम: |--द्वार ०२- गतिः
-वार २३- चरम: --- --द्वार ०३- इन्द्रियं
રકર --दवार २४- जीव:
२९८ ३७५ पद ११- भाषा --- --द्वार ०४- काय:
રદ્દ |--द्वार २५-क्षेत्रं
२९९
पद १२- शरीरं --द्वार ०५- योग:
२७९ -द्वार २६- बन्धं
३२२
| पद १३. परिणाम: | --द्वार ०६- वेदः
२८०
| --द्वार २७- पदगल, दिशा- ३२६ ४१३ पद १४- कषाय: | --द्वार ०७- कषाय: २८१
आदि अल्पबहत्वं |--द्वार ०८- लेश्या २८१
४१९ पद १५- इन्द्रियं |--द्वार ०९- द्रष्टि : २८४ २९८ पद ०४- स्थितिः
--उद्देशक: ०१- नामादि --दवार १०- ज्ञानं
२८५ | पद ०५- विशेष
३६९
--उद्देशक: ०२- उपचयादि |--द्वार ११- अज्ञानं २८५ ३२६ पद ०६- व्युत्क्रान्ति:
पद १६- प्रयोग: --दवार १२- दर्शनं
૨૮૬
|--द्वार ०१- द्वादश: --द्वार १३- संयत:
२८६ --द्वार ०२- चतुर्विंशति:
| पद १७- लेश्या --दवार १४- उपयोग: --दवार ०३- सांतरं
--उद्देशक: ०१- समाहारादि --द्वार १५- आहारक:
२८६ ।। --द्वार ०४- एकसमयं
--उद्देशक: ०२- षड्भेदा: --दवार १६- भाषक: ____२८८ ।। --दवार ०५- आगति:
--उद्देशक: ०३- उपपातादि --द्वार १७- परित्त: | २८८ ।। -- --द्वार ०६- उद्वर्तना/गति:
--उद्देशक: ०४- परिणामादि | --दवार १८- पर्याप्त: | २८८ ।। -- |--दवार ०७- परभवाय:
--उद्देशक: ०५- वर्णादि --द्वार १९- सूक्ष्म
૨૮૮ -द्वार ०८- आकर्ष:/आयुबंध:
--उद्देशक: ०६- मनुष्यापेक्षया पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[१५]उपांगसूत्र-[४] "प्रज्ञापना" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीता वृत्ति:
३४८
واه في
४३८
૨૮૬
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