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मूलाका: ३४९ + २३१
प्रज्ञापना (उपांग) सूत्रस्य विषयानुक्रम - २
दीप-अनुक्रमा: ६२२
पष्ठाक:
मूलांक: | विषय: | पृष्ठांक: । । मूलांक: |
विषय: | पृष्ठांक: | मूलांक:
विषय: ४४१ | पद १८- कायस्थिति:
| पद १८- बहवक्तव्यता (वर्तते)
पद २८-आहाराउद्देशक:२-वर्तते --दवार ०१- जीव: --दवार २१- अस्तिकाय:
--दवार ०२- भवसिद्धिकत्वं | --द्वार ०२- गति: ---- --द्वार २२- चरिम:
-द्वार ०३- संज्ञी --द्वार ०३- इन्द्रिय
-द्वार ०४- लेश्या --दवार ०४- काय: ४९५ | पद १९- सम्यकत्वं
-द्वार ०५-द्रष्टि : --दवार ०५- योग: ४९६ | पद २०- अंतक्रिया
--दवार ०६- संयत: |--द्वार ०६- वेदं ५०९ | पद २१- अवगाहनासंस्थान/शरीर |
-द्वार ०७- कषाय: --द्वार ०७- कषाय: ५२५ | पद २२- क्रिया
-द्वार ०८- ज्ञानं |--द्वार ०८- लेश्या
--द्वार ०९- योग: |--द्वार ०९- सम्यकत्वं ५३४ पद २३- कर्मप्रकृत्ति :
-द्वार १०- उपयोग: --- --दवार १०- ज्ञानं | --उद्देशक: ०१- अष्टविधा
-वार् ११- वेदः ---- --उद्देशक: ०२-भेद-प्रभेदा:
-द्वार १२- शरीरं | -दवार ११- दर्शनं
-दवार १३- पर्याप्ति: |--दवार १२- संयत:
५४६ पद २४- कर्मबन्धं --दवार १३- उपयोग: ५४७ पद २५- कर्मवेदनं
५७२ | पद २९- उपयोग: --द्वार १४- आहार: ५४८ पद २६- कर्मवेदबन्धं
५७३ | पद ३०- पश्यता --दवार १५- भाषक: ५४९ पद २४- कर्मवेदवेदनं
५७५ पद ३१- संज्ञी --द्वार १६- परित:
पद ३२- संयत: --वार १७- पर्याप्त: ५७० | पद २८- आहार:
५७९ | पद ३३-अवधि: --द्वार १८- सूक्ष्म
--उद्देशक: ०१- सचित्तादि
५८४ | पद ३४- प्रविचारणा | --वार १९- संज्ञी --- --उद्देशक: ०२
५९५ | पद ३५- वेदना --द्वार २०- भवसिद्धिक:
-द्वार ०१- आहारकत्वं
५९९-६२२ | पद ३६- समुद्घात: पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[१५]उपांगसूत्र-[४] "प्रज्ञापना" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीता वृत्ति:
५७७
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