________________
आगम
(१४)
horosc
प्रत
सूत्रांक [२२५]
दीप
अनुक्रम
[ ३४५ ]
[भाग-१७] “जीवाजीवाभिगम” – उपांगसूत्र -३ / २ ( मूलं + वृत्ति:)
प्रतिपत्तिः [४],
• उद्देशक: [-],
• मूलं [ २२५]
पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधितः मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित ... आगमसूत्र [१४] उपांगसूत्र- [३] "जीवाजीवाभिगम" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीता वृत्तिः
दिया पज्जतगा पंचेंदिया पजन्तगा विसेसाहिया बेंदियपञ्चत्तगा विसेसाहिया तेइंदियपज्जन्तगा विसेसाहिया एगिंदियपजत्तगा अनंतगुणा, सइंदिया पजत्तगा बिसेसाहिया । एतेसि णं भंते! सइंद्रियाणं पञ्जन्तगअपजत्तगाणं कयरे २१, गोयमा ! सव्वत्थोवा सइंदिया अपजसगा सदिया पसगा संखेज्जगुणा । एवं एगिंदियावि ॥ एतेसि णं भंते । बेइंद्रियाणं पजत्तापजत्तगाणं अप्पा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा बेइंदिया पज्जत्तगा अपजसगा असंखेज्जगुणा, एवं तेंद्रियचउरिदियपंचेंद्रियावि || एसि णं भंते! एगिंदियाणं वेइंदि० तेइंदि० चउरिंदि० पंचेंद्रियाण य पत्तगाण व अपजतगाणं य कयरे २१, गोयमा ! सव्वत्थोवा चउरिंदिया पचत्तगा पंचेंदिया पजत्तगा विसेसाहिया बेइंदिया पज्जसगा विसेसाहिया लेइंदिया पज्जत्तगा विसेसाहिया पंचदिया अपनन्तगा असंखेजगुणा चउरिंदिया अपजत्ता विसेसाहिया तेइंदियअपज्जन्ता विसेसाहिया बेइंदिया अपजत्ता विसेसाहिया एगिंदियअपलत्ता अनंतगुणा सइंदिया अपलत्ता विसेसाहिया एर्गिदियपज्जन्ता संखेजगुणा सदियपजत्ता विसेसाहिया सइंदिया विसेसाहिया । सेत्तं पंचविधा संसारसमावण्णगा जीवा ॥ ( सू० २२५ )
'एएसि ण' मित्यादि प्रनसूत्रं सुगमं, भगवानाह - गौतम! सर्वलोकाः पञ्चेन्द्रियाः सङ्ख्येययोजनकोटीकोटीप्रमाणविष्कम्भसूचीप्रमितप्रतरासको माग वस पेय श्रेणिगताकाशप्रदेशराशिप्रमाणत्वात्, तेभ्यश्चतुरिन्द्रिया विशेषाधिकाः, विष्कम्भसूच्यास्तेषां प्रभूत
For P&Pale Cinly
~367~