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________________ आगम (१४) [भाग-१६] “जीवाजीवाभिगम" - प्रतिपत्ति : [१], -------------------------उद्देशक: -1, ---------------------- मूलं [१९-२०] + गाथा: पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र- [१४], उपांगसूत्र- [३] “जीवाजीवाभिगम" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीता वृत्ति: प्रत सूत्रांक [१९-२०] गाथा: य साधारणसरीरबायरवणस्सइकाइया य॥(सू० १९) । से किं तं पत्तेयसरीरयादरवणस्सतिकाइया?, २ दुवालसविहा पपणत्ता, तंजहा-रुक्खा गुच्छा गुम्मा लता य वल्ली य पब्वगा चेव । तणवलयहरितओसहिजलरुहकुहणा य बोद्धब्वा ॥१॥से किं तं रुक्खा, २ विहा पण्णत्ता, तंजहा-एगडिया य बहुबीया यासे किं तं एगडिया?,२ अणेगविहा पण्णता, तंजहा-निबंधजंबुजाव पुण्णागणागरुक्खे सीवपिण तथा असोगे य, जे यावण्णे तहप्पगारा, एतेसिणं मूलावि असंखेजजीविया, एवं कंदा खंधा तया साला पवाला पत्ता पत्तेयजीवा पुप्फाई अणेगजीवाई फला एगडिया, सेत्तं एगढिया। से किं तं बहुबीया ?, २ अणेगविधा पपणत्ता, तंजहा-अत्थियतेंदुयउंघरकविढे आमलकफणसदाडिमणग्गोधकाउंबरीयतिलयलज्यलोद्धे धचे, जे याचपणे तहप्पगारा, एतेसिणं मूलावि असंखेजजीविया जाव फला बहुबीयगा, सेत्तं बहुयीयगा, सेतं रुक्खा, एवं जहा पण्णवणाए तहा भाणियब्ब, जाव जे यावन्ने तहप्पगारा, सेत्तं कुहणा-नाणाविधसंठाणा रुक्खाणं एगजीविया पत्ता । खंधोवि एगजीवो तालसरलनालिएरीणं ॥१॥ 'जह सगलसरिसवाणं पत्तेयसरीराण' गाहा ॥२॥'जह वा तिलसकुलिया' गाहा ॥ ३ ॥ सेतं पसेयसरीरवायरवणस्सइकाइया ।। (सू०२०) 'से कि तमित्यादि, अथ के ते बादरवनस्पतिकायिका: १, सूरिराह-बादरवनस्पतिकायिका द्विविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-प्रत्येक दीप अनुक्रम [२१-२८] JaEcuamala Scा ~61~
SR No.035016
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 16 Jivajivabhigam Mool evam Vrutti Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages480
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size116 MB
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