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________________ आगम (१४) [भाग-१६] “जीवाजीवाभिगम" - प्रतिपत्ति : [२], -------------------------उद्देशक: [-1, ---------------------- मूलं [६०] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र- [१४], उपांगसूत्र- [३] "जीवाजीवाभिगम" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीता वृत्ति प्रत सूत्रांक [६०] रदीवकाण य कतरे कयरोहितो अप्पा वा ४१, गोयमा! सब्वत्थोवा अंतरदीवगअकम्मभूमगमणुस्सणपुंसका देवकुरुउत्तरकुरुअकम्मभूमगा दोवि संग्वेजगुणा एवं जाब पुब्वविदेह अवरविदेहकम्म० दोवि संखेजगुणा ॥ एतेसिणं भंते ! णेरड्यणपुंसकाणं रयणप्पभापुढविनेरहयनपुंसकाणं जाव अधेसत्तमापुढविणेरइयणपुंसकाणं तिरिक्व जोणियणपुंसकाणं एगिद्रियतिरिकग्वजोणियाणं पुढविकाइयएगिदियतिरिक्वजोणियणपुंसकाणं जाव वणस्सतिकाइय० येइंदियतेईदियचतुरिंदियपंचिंदियतिरिक्वजोणियणपुंसकाणं जलयराणं थलयराणं वहयराणं मणुस्सणपुंसकाणं कम्मभूमिकाणं अकम्मभूमिकाणं अंतरदीवकाण य कतरे २ हितो अप्पा ४, गोयमा! सव्व थोवा अधेससमपुढविणेरइयणपुंसका छटपुटविनेरइयनपुंसका असंग्वेज. जाव दोधपुढविणेरायणपुं० असंग्वे० अंतरदीवगमणुस्सणपुंसका असंग्वेज़गुणा, देवकुरुउत्तरकुरुअकम्मभूमिक० दोवि संग्वेजगुणा जाव पुब्वविदेहअवरविदेहकम्मभूमगमणुस्सणपुंसका दोवि मंग्वेजगुणा, रयणप्पभापुतविणेरइयणपुंसका असंग्वे० बहयरपंचेंदियतिरिक्वज़ोणियनपुंसका असं० थलयर० संग्विज. जलयर० संम्बिजगुणा चतुरिं दियतिरिक्वजोणिय. विसेसाहिया तेइंदिय० विसे बेइंदिय० विसे० तेउक्काइयएगिदिय० असं० पुढविकाइयएगिंदिय. विसेसाहिया दीप अनुक्रम [६८] ~169~
SR No.035016
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 16 Jivajivabhigam Mool evam Vrutti Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages480
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size116 MB
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