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________________ आगम (१४) ཡྻ सूत्रांक [६०] अनुक्रम [ ६८ ] [भाग-१६] “जीवाजीवाभिगम” – उपांगसूत्र - ३ / १ ( मूलं + वृत्तिः ) • उद्देशक: [ - ], - मूलं [ ६०] प्रतिपत्ति: [२], पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधितः मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.. आगमसूत्र [१४] उपांगसूत्र- [३] "जीवाजीवाभिगम" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीता वृत्ति श्रीजीवाजीवाभि० मलयगि गयावृत्तिः ॥ ७९ ॥ " Ja Ekemon एसि णं भने शेरपुंसकाणं तिरिक्वजोणिय नपुंसकाणं मणुस्णपुंसकाण व कमरे कयरेहिन्तो जाव विमाहिया बा ?, गोयमा ! सव्वधोवा मणुस्मणपुंसका नेरइयनपुंसगा असंखेजगुणा fararastraणपुंसका अनगुणा ।। एतेसि णं भंते! रयणप्पापुढविणेरयणपुंस्काणं जाव अहे मत्तमपुढविणेरइयणपुंसकाय कमरे २ हिंतो जाव विसेसाहिया वा ?, गोगमा सम्वन्धोया अहे सत्तमपुविनेरइयणपुंसका छपुढविणेरयणपुंसका असंग्वेज़गुणा जाव ढोचपुढविणेरहयपुंसका असंखेागुणादमीसे रयणप्पभाग पुढवीए रयणपुंसका असंखेजगुणा ॥ एनेसिणं भंते! तिरिक्वजोणियणपुंसकाणं एगिंदियतिरिक्ग्वजोणियणपुंसकाणं पुढविकाइय जाव वस्मनिकाय एगिदियतिरिक्खजोणियणपुंसकाणं बेइंद्रियतेइंद्रियचड रिंदियपंचेंद्रियतिरिक्ग्वजोणियणपुंसकार्ण जलयराणं धलपराणं खयराण य कतरेर हिन्तो जाव विसेसाहिया वा?, गोमा ! सव्वधोवा खयर तिरिकम्वजोणियणपुंसका, थलयतिरिक्वजोणियनपुंसका संवेज • जलयरतिरिवाजोणियनपुंसका संग्वेज चतुरिंदियतिरि० विसेसाहिया इंद्रियति० विसेसाहिया इंद्रियतिः विसेसा० तेउकाइयएगिदियतिरिक्त्या असंखेज़गुणा पुढविकाइयएगिंदियतिरिक्ग्वजोणिया विसेसाहिया, एवं आउवा उवणस्सतिकाइयएगिंदियतिरिक्ग्वजोणियणपुंसका अनंतगुणा ॥ एतेसि णं भंते! मणुस्सणपुंसकाणं कम्मभूमिणपुंसकाणं अकम्मभूमिणपुंसकाणं अंत For P&Praise City •••अत्र मूल- संपादने शिर्षक-स्थाने सूत्र क्रमाकने एका स्खलना दृश्यते— सू० ५९ स्थाने सू० ६० इति मुद्रितं ~168~ २ प्रतिपनी नपुंसका नामल्प बहु ०६० ।। ७९ ।। My
SR No.035016
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 16 Jivajivabhigam Mool evam Vrutti Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages480
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size116 MB
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