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आगम (१४)
[भाग-१६] “जीवाजीवाभिगम" -
प्रतिपत्ति : [२], -------------------------उद्देशक: -1, ---------------------- मूलं [१०] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र- [१५], उपांगसूत्र- [३] “जीवाजीवाभिगम" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीता वृत्ति
श्रीजीवाजीवाभि
प्रत सूत्रांक
प्रतिपत्ती स्त्रीणाम| पत्रहुत्वं
मलयगिरीयावृत्तिः
।। ६२॥
जोणित्थियाओ संवेजगुणाओ जलयरतिरिक्ख० संखेजगुणाओ॥ एतासिणं भंते ! मणुस्सित्थीर्ण कम्मभूमियाणं अकम्मभूमियाणं अंतरदीवियाण य कतरा २ हिंतो अप्पा या ४१,गोयमा! सब्यस्थोवाओ अंतरदीवगअकम्मभूमगमणुस्सिन्धियाओदेवकुरूत्तरकुरुअकम्मभूमगमणुस्सिस्थियाओ दोवि तुल्लाओ संखेजगु०, हरिवासरम्मयवासअकम्मभूमगमणुस्सिस्थियाओ दोषि तहाओ संखेनगु०, हेमवतेरपणवासअकम्मभूमिगमणुस्सिस्थियाओ दोवि तुल्लाओ संग्विजगु०, भरतेरवतवासकम्मभूमगमणुस्सि० दोवि तुल्लाओ संखिजगुणाओ, पुब्वविदेहअवरविदेहकम्मभूमगमणुस्सित्थियाओ दोवि तुल्लाओ संखेजगुणाओ।। एतासि णं भंते ! देवित्थियाणं भवणवासीणं वाणमंतरीणं जोइसिणीणं बेमाणिणीण य कयरा २ हिंतो अप्पा वा पहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा?, गोयमा! सम्वत्थोवाओ वेमाणियदेवित्थियाओ भवणवासिदेवित्थियाओ असंखेजगुणाओ वाणमंतरदेवीयाओ असंखेजगुणाओ जोतिसियदेवित्थियाओ संग्वेजगुणाओ ॥ एतासि णं भंते ! तिरिक्खजोणित्थियाणं जलयरीणंथलयरीणं खहयरीणं मणुस्सिस्थीयाणं कम्मभूमियाणं अकम्मभूमियाणं अंतरदीवियाणं देवित्थीणं भवणवासियाणं वाणमंतरीणं जोतिसियाण घेमाणिणीण य कयराओर हिंतो अप्पा वा बहुआ वा तल्ला वा विसे०?, गोयमा सव्वत्थोवा अंतरदीवगअकम्मभूमगमणुस्सित्थियाओ देवकुरुउत्तरकुरुअकम्मभूमगमणुस्सित्थियाओ दोवि संखे
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अनुक्रम [१८]
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॥ ६२॥
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