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________________ आगम (१४) [भाग-१६] “जीवाजीवाभिगम" - प्रतिपत्ति : [२], ------------------------- उद्देशक: [-1, ---------------------- मूलं [४८] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र- [१५], उपांगसूत्र- [३] “जीवाजीवाभिगम" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीता वृत्ति प्रत सूत्रांक [४८] श्रीजीवाजीवाभि० मलयगिरीयावृत्तिः र प्रतिपत्ती सामाश्यविशेषत| या स्त्रीत्वस्थितिः सू०४८ रिक्ख०, उरगपरिसप्पीभुयगपरिसप्पित्थी णं जधा जलयरीणं, स्वयरि० जहाणेणं अंतोमुहुर्त उको पलिओवमस्स असंखेजतिभागं पुष्चकोडिपुहुत्तमम्भहियं ॥ मणुस्सित्थी णं भंते! कालओ केवचिरं होति?, गोयमा! खेत्तं पडुच जहणेणं अंतोमुहत्तं उक्को तिन्नि पलिओवमाई पुवकोडिपुटुत्तमन्भहियाई, धम्मचरणं पडुच जह. एकं समयं उक्को देसूणा पुन्यकोडी, एवं कम्मभूमियावि भरहेरवयावि, णवरं खेत्तं पडुच जह० अंतो उक्को तिन्नि पलिओवमाई देसूणपुष्वकोडीअमहियाई, धम्मचरणं पहुंच जह एक समयं उको देसूणा पुब्वकोडी। पुम्वविदेहअवरविदेहित्थी णं खेत्तं पडच जह• अंतो. उको पुच्चकोडीपुरत्तं, धम्मचरणं पडच जहा एक समयं उकोसणं देसूणा पुब्बकोडी ॥ अकम्मभूमिकमणस्सित्थी णं भंते! अकम्मभूम कालओ केवचिरं होइ' गोयमा! जम्मणं पडुच जह० देसूर्ण पलिओवमं पलिओवमस्स असंखेजतिभागेणं ऊणं उको तिषिण पलिओवमाई। संहरणं पहुंच जह० अंतो० उकोसेणं तिनि पलिओवमाई देसूणाए पुब्बकोडिए अन्भहियाई। हिमवतेरपणवते अकम्मभूमगमणुस्सिस्थीर्ण भंते ! हेम. कालतो केवचिरं होइ ?, गोयमा! जम्मणं पडुच्च जह० देसूर्ण पलिओवमं पलिओवमस्स असंखेजतिभागेणं ऊणगं, उको पलिओवमं । साहरणं पडुच्च जह• अंतोमु० उको० पलिओवर्म देसूणाए पुब्बकोडीए अन्भहियं । हरिवासरम्मयअकम्मभूमगमणुस्सित्थी गं भंते, जम्मणं पहुच जह अनुक्रम [१६] ॥ ५७॥ ~124~
SR No.035016
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 16 Jivajivabhigam Mool evam Vrutti Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages480
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size116 MB
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