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आगम
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[भाग-१६] “जीवाजीवाभिगम" -
प्रतिपत्ति : [२], -------------------------उद्देशक: -1, ----------------------मूलं [४४-४५] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र- [१५], उपांगसूत्र- [२] “जीवाजीवाभिगम" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीता वृत्ति
प्रत सूत्रांक [४४-४५]
श्रीजीवाजीवाभि मलयगिरीयावृत्तिः ॥५२॥
र प्रतिपत्ती
जीवास्त्रिPI भेदाः
सू०४४ स्त्रीभेदाः सू०४५
दीप अनुक्रम [५२-५३]
सपणाओ सरडीओ सेरंधीओ भावाओ खाराओ पचण्णाइयाओ चउप्पइयाओ मुसियाओ मुगुसिओ घरोलियाओ गोव्हियाओ, जोव्हियाओ बिरचिरालियाओ, सेसं भुगपरिसप्पीओ। से किं तं खहयरीओ?,२चउविधाओ पण्णत्ता, तंजहा-चम्मपक्खीओ. जाव सेत्तं खहयरी
ओ. सेतं तिरिक्खजोणिओ॥ से किं तं मणुस्सिओ?, २तिविधाओ पण्णत्ता, तंजहा-कम्मभूमियाओ अकम्मभूमियाओ अंतरदीवियाओ। से किं तं अंतरदीविपाओ १.२ अट्ठावीसतिचिधाओ पपणत्ता, तंजहा-एगूरूइयाओ आभासियाओ जाव सुद्धदंतीओ, सेसं अंतरदी०॥ से किं तं अकम्मभूमियाओ?, २ तीसविधाओ पपणत्ता, तंजहा-पंचसु हेमवएसु पंचसु एरण्णवएसु पंचसु हरिवंसेसु पंचसु रम्मगवासेसु पंचसु देवकुरासु पंचसु उत्तरकुरासु, सेत्तं अकम्मा। से किंतं कम्मभूमिया ?, २ पपणरसविधाओ पण्णत्ताओ, तंजहा-पंचसु भरहेसु पंचसु एरवएसु पंचसु महाविदेहेसु, सेतं कम्मभूमगमणुस्सीओ, सेत्तं मणुस्सित्थीओ ॥ से किं तं देवित्थियाओ ?, २चउब्विधा पणत्ता, तंजहा-भवणवासिदेवित्थियाओ वाणमंतरदेवित्थियाओ जोतिसियदेवित्थियाओ वेमाणियदेवित्थियाओ । से किं तं भवणवासिदेवित्थियाओ?, २दसविहा पण्णता, तंजहा-असुरकुमारभवणवासिदेवित्थियाओ जाव थणितकुमारभवणवासिदेवित्थियाओ, से तं भवणवासिदेवित्थियाओ। से किंत वाणमंतरदेवित्थियाओ?.२ अट्ट
॥५२॥
Jamacisi
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