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________________ आगम (१४) [भाग-१६] “जीवाजीवाभिगम" - प्रतिपत्ति : [२], ------------------------- उद्देशक: [-], ---------------------- मूलं [४४-४५] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र- [१५], उपांगसूत्र- [३] “जीवाजीवाभिगम" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीता वृत्ति अथ त्रिविधाख्या द्वितीया प्रतिपत्तिः प्रत सूत्रांक [४४-४५] दीप अनुक्रम [५२-५३] तदेयमुक्ता द्विविधा प्रतिपत्तिः, सम्प्रति त्रिविधा प्रतिपत्तिरारभ्यते, तत्र चेदमादिसूत्रम् तत्थ जे ते एवमाहंसु तिविधा संसारसमावण्णगा जीवा पण्णत्ता ते एवमासु, तंजहा-इत्थि पुरिसा णपुंसका ॥ (सू०४४)। से किं तं इत्धीओ?,२ तिविधाओ पण्णत्ता, तंजहा-तिरिक्खजोणियाओ मणुस्सित्थीओ देवित्थीओ।से किं तं तिरिक्खजोणिणित्थीओ?, २तिविधाओ पण्णसा, तंजहा-जलयरीओ बलयरीओ, खयरीओ।से किं तं जलयरीओ?.२ पंचविधाओ पपणत्ताओ, तंजहा-मच्छीओ जाव सुंसुमारीओ। से किं तं थलयरीओ?, २ दुविधाओ पण्णता, तंजहा-चप्पदीओ य परिसप्पीओ य । से किं तं चउपपदीओ?, २ चउविधाओ पपणत्ता, तंजहा-एगखुरीओ जाव सणफईओ। से किं तं परिसप्पीओ ?, २ दुविहा पण्णत्ता, तंजहाउरपरिसप्पीओय भुजपरिसप्पीओ यासे किं तं उरगपरिसप्पीओ?.२तिविधाओ पपणत्ता, तंजहा-अहीओ अहिगरीओ महोरगाओ, सेत्तं उरपरिसप्पीओ । से कितं भुयपरिसप्पीओ?, २ अणेगविधाओ पण्णता, तंजहा-सेरडीओ सेरंधीओ गोहीओ णउलीओ सेधाओ अथ दवितिया (त्रिविधा) प्रतिपत्ति: आरभ्यते जीवानाम् भेदा: त्रिविध-स्वरुपेणम् , स्त्रिया: त्रैविध्यम् ~113~
SR No.035016
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 16 Jivajivabhigam Mool evam Vrutti Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages480
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size116 MB
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