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________________ आगम (७) भाग-१३ “उपासकदशा' अध्ययन [१], ------- मूलं [१] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[७] अंगसूत्र- [७] "उपासकदशा" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्ति: प्रत सूत्रांक गिहिधम्म पडिवज्जइ . ना तमव धम्मियं जाणप्पवर दुरुह २ ना जामेव दिसि पाउब्भूया तामेव दिसिं पडिगया ॥ मू०५॥ 'लहुकरण' इत्यत्र यावत्करणात् 'लहुकरणजुत्तजोइयमित्यादियांनवर्णको व्याख्यास्यमानसप्तमाध्ययनादवसेयः ।। (सू०९) भन्ते ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वन्दइ नमसइ २ ला एवं वयासी-पहू णं भन्ते ! आणन्दे समणो. वासए देवाणुप्पियाण अन्तिए मुण्डे जाव पवइनए ?. नो तिणटे ममद्रु, गोयमा ! आणन्दे णं समणोरासए रहूई वासाई मभणीवारगपरियागं पाउणिहिइ २ ना जाव मोहम्म कप्पे अनणे विमाणे देवताए उववजिहिइ । तत्थ णं अथगडाणं देवाणं चत्तारि पलिओक्माई दिई पष्णनानाथ णं आणन्दस्सऽवि समणोवामगस्म चनारि पलि ओवमाठिई पष्णना। नए णं समणे भगवं! महावी अन्नया कार बहिया जाय विहरद ॥ मगर | 100तएणं से आणन्दे समोवासए जाए अभिगयजीवाजीचे जाव पडिलांभमाणे विहरद । तए णं मा सिवानन्दा भानिया समणोचानिया नारा जाय पडिलाभमाणी विहरइ । मू० ॥ तए णं तस्म आणदस्स हारवालास माराहि मीलवगुणंदमणपचक्याणपासहोवदामोहि अप्पाणं सांत्रमाणस्स चोइस संवच्छतहकलाई समल्स मंचच्छरस्म अन्तरा वट्टमाणस्म अनश कयाइ पुरानावरनकालसजयसि बाजामयिं जागरमाणनम दंगशारदे बल्झस्थिप चिन्तिा पत्थिामणोगए मप ममुपजिन्था-एवं अनुक्रम [११] For Paws Jionakalam ~37~
SR No.035013
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 13 Upasakdasha Antkruddasha Anuttaropapatikdasha Prashnavyakaran Mool evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages538
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_antkrutdasha
File Size118 MB
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