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________________ आगम (०६) [भाग-१२] “ज्ञाताधर्मकथा", श्रुतस्कन्ध: [१] ----------------- अध्ययनं [५], ----------------- मूलं [५७-६१] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[०६] अंगसूत्र-[०६] "ज्ञाताधर्मकथा" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्ति: प्रत सूत्रांक [५७-६१] सnee Breeeeeeeer दीप अनुक्रम [६९-७३] जित्था-एवं खलु सेलए रायरिसी चइत्ता रज्जं जाव पञ्चतिए, विपुलेणं असण ४ मज्जपाणए मुच्छिए नो संचाएति जाव विहरित्तए, नो खलु कप्पइ देवाणुप्पिया! समणाणं जाव पमत्ताणं विहरित्तए, तं सेयं खलु देवा० अम्हं कल्लं सेलयं रायरिसिं आपुच्छित्ता पाडिहारियं पीडफलगसेज्जासंथारगं पञ्चप्पिणित्ता सेलगस्स अणगारस्स पंधयं अणगारं वेयावज्ञकरं ठवेत्ता बहिया अब्भुज्जएणं जाव विहरित्तए, एवं संपेहेंति २कलं जेणेव सेलए आपुच्छित्ता पाडिहारियं पीढ० पचप्पिणति २ पंथयं अणगारं वेयावचकर ठावंति बहिया जाव विहरंति (सूत्रं ५८)तते णं से पंथए सेलयस्स सेज्जासंथारजञ्चारपासवणखेलसंघाणमत्तओसहभेसजभत्तपाणएणं अगिलाए विणएणं वेयावडियं करेइ, तते णं से सेलए अन्नया कयाई कत्तियचाउम्मासियंसि विपुलं असण. ४ आहारमाहारिए सुबटुं मजपाणयं पीए पुवावरण्हकालसमयंसि सुहप्पमुत्ते, तते णं से पंथए कत्तियचाउम्मासियंसि कयकाउस्सग्गे देवसियं पडिकमणं पडिकते चाउम्मासियं पडिकमिउंकामे सेलयं रायरिर्स खामणट्ठयाए सीसेणं पाएसु संघद्देइ, तते थे से सेलए पंथएणं सीसेणं पाएमु संघट्टिए समाणे आसुरुत्ते जाव मिसिमिसेमाणे उद्वेति २ एवं वदासीसे केस णं भो एस अप्पत्थियपस्थिए जाव परिवजिए जेणं ममं सुहपसुत्तं पाएमु संघद्देति ? सते णं से पंधए सेलएणं एवं बुत्ते समाणे भीए तत्थे तसिए करयल कट्ट एवं वदासी अहणं भंते। पंधए कयकाउस्सग्गे देवसिय परिकमणं पडिकते चाउम्मासियं पडिकते चाउम्मासियं खामेमाणे देवाणु Seceneseroecenticer शैलकराजर्षे: पार्श्वस्थता ~233
SR No.035012
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 12 Gyatadharmkatha Mool evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages522
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size113 MB
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