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________________ आगम (०६) [भाग-१२] “ज्ञाताधर्मकथा" - अंगसूत्र-६ (मूलं+वृत्ति:) श्रुतस्कन्ध: [१] ----------------- अध्ययनं [१], ----------------- मूलं [२४] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[०६] अंगसूत्र-[०६] "ज्ञाताधर्मकथा" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्ति: प्रत सूत्रांक [२४] लउडभिंडिमालधणुपाणिसज पायत्ताणीयं पुरओ अहाणुपुवीए संपट्ठियं, तए णं से मेहे कुमारे हारोत्थयसुकयरइयवच्छे कुंडलुजोइयाणणे मउडदिचसिरए अन्भहियरायतयलच्छीए दिप्पमाणे सकोरेंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिजमाणेणं सेयवरचामराहिं उडुबमाणी-18 हिं हयगयपवरजोहकलियाए चाउरंगिणीए सेणाए समणुगम्ममाणमग्गे जेणेव गुणसिलए चेइए तेणेव पहारेत्थ गमणाए, तए णं तस्स मेहस्स कुमारस्स पुरओ महं आसा आसघरा उभओ पासे नागा नागधरा करिवरा पिट्टओ रहा रहसंगेली, तए णं से मेहे कुमारे अब्भागभिंगारे पग्गहियतालियंटे उसवियसेयरछत्ते पवीजियवालवियणीए सबिड्डीए सबजुईए सबबलेणं सबसमुदएणं सबा-18 दरेणं सबविभूईए सबविभूसाए सवसंभमेणं सवगंधपुष्फमलालंकारेणं सवतुडियसहसन्निनाएणं महया इड्डीए महया जुए महया बलेणं महया समुदएणं महया वरतुडियजमगसमगषवाइएणं संखपणवपडहभेरिझहरिखरमुहि हुडुकमुरखमुइंगदुंदुभिनिग्धोसनाइयरवेणं रायगिहस्स नगरस्स मझमझेणं णिग्गच्छइ, तए णं तस्स मेहस्स कुमारस्स रायगिहस्स नगरस्स मॉमजलेणं निग्ग च्छमाणस्स बहवे अत्थत्थिया कामस्थिया भोगत्थिया लाभत्थिया किदिबसिया करोडिया कारवाहिया संखिया चकिया लंगकालिया मुहमंगलिया पूसमाणवा बद्धमाणगा ताहिं इवाहि कंताहिं पियाहि मणुनाहि मणामाहिं मणाभिरामाहि हिययगमणि-18 आर्हि वगृहि'ति, अयमस्वार्थ:-सदनन्तरं च छत्रस्योपरि पताका छत्रपताका सचामरा-चामरोपशोभिता तथा दर्शनरतिदादृष्टिसुखदा आलोके-रष्टिविषये क्षेत्रे स्थिताऽत्युच्चतया दृश्यते या सा आलोकदर्शनीया, ततः कर्मधारयः, अथवा दशेने-- रष्टिपथे मेघकुमारस्य रचिता-धृता या आलोकदर्शनीया च या सा तथा, वातोश्ता विजयभूचिका च या वैजयन्ती-पताका-12 विशेषः सा तथा, सा च ऊसिया-उच्छ्रिता ऊकृता पुरत:-अग्रतः यथानुपूर्वी-क्रमेण सम्पस्थिता-प्रचलिता, 'भिसंत'त्ति अनुक्रम [३३] SHREILLEGunintentiational मेघकुमारस्य राज्याभिषेक एवं दीक्षा ~125
SR No.035012
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 12 Gyatadharmkatha Mool evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages522
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size113 MB
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